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"जो मोहि राम लागते मीठे / तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर
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तुलसीदास प्रभु सो एकहिं बल बचन कहत अति ढीठे। | तुलसीदास प्रभु सो एकहिं बल बचन कहत अति ढीठे। | ||
नामकी लाज राम करुनाकर केहि न दिये कर चीठे॥३॥ | नामकी लाज राम करुनाकर केहि न दिये कर चीठे॥३॥ | ||
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19:37, 13 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
जो मोहि राम लागते मीठे।
तौ नवरस, षटरस-रस अनरस ह्वै जाते सब सीठे॥१॥
बंचक बिषय बिबिध तनु धरि अनुभवे, सुने अरु डीठे।
यह जानत हौं ह्रदय आपने सपने न अघाइ उबीठे॥२॥
तुलसीदास प्रभु सो एकहिं बल बचन कहत अति ढीठे।
नामकी लाज राम करुनाकर केहि न दिये कर चीठे॥३॥