भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"क्रूर जीवन का दृश्य / आरागों" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) |
|||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=लुई आरागों | |रचनाकार=लुई आरागों | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | :::लुई दल्युक के लिए | |
मुझे लगता है कि वह मुझे भूल गई होगी | मुझे लगता है कि वह मुझे भूल गई होगी | ||
− | + | ::::पागलपन में | |
इंतज़ार है कि वह बाँधेगी मुझे अपनी ख़ुशी से | इंतज़ार है कि वह बाँधेगी मुझे अपनी ख़ुशी से | ||
− | + | ::::आलिंगन में | |
अगर धोखा दिया उसने मुझे | अगर धोखा दिया उसने मुझे | ||
− | + | ::::हाँ-हाँ धोखा | |
किसी मूरत सी सुन्दर क्यों न हो वह | किसी मूरत सी सुन्दर क्यों न हो वह | ||
− | + | ::::मैं उसे मार ही न डालूँ। | |
− | + | ||
− | + | ||
ले देस्तीने द ला पोयज़ी(1925-1926) से | ले देस्तीने द ला पोयज़ी(1925-1926) से | ||
− | |||
'''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी | '''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी | ||
+ | </poem> |
16:37, 27 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
लुई दल्युक के लिए
मुझे लगता है कि वह मुझे भूल गई होगी
पागलपन में
इंतज़ार है कि वह बाँधेगी मुझे अपनी ख़ुशी से
आलिंगन में
अगर धोखा दिया उसने मुझे
हाँ-हाँ धोखा
किसी मूरत सी सुन्दर क्यों न हो वह
मैं उसे मार ही न डालूँ।
ले देस्तीने द ला पोयज़ी(1925-1926) से
मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी