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गोरखनाथ / परिचय

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मेवाड के बापा रावल को गोरखनाथ ने एक तलवार भेँट की थी जिसके बल से ही जीत कर, चितौड राज्य की स्थापना हुई थी
 
मत्स्येन्द्रनाथ के शिष्य तथा हठयोग के आचार्य गोरखनाथ मध्ययुग के एक विशिष्ट महापुरुष थे। इनके उपदेशों में योग और शैव तंत्रों का सामंजस्य है। गोरखनाथ की लिखी गद्य-पद्य की 40 छोटी-मोटी रचनाओं का परिचय प्राप्त है। इनमें सबदी, पद, प्राण, संकली, नरवैबोध आदि 13 ग्रंथों का एकत्र प्रकाशन डॉ. पीताम्बरदत्त बडथ्वाल ने 'गोरख बानी नाम से किया है। इनकी हठयोग साधना ईश्वरवाद को लेकर चली थी, अत: सूफियों की भाँति इनकी ओर मुसलमान भी आकर्षित हुए।
==पुस्तक==