भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हलके से / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक वाजपेयी |संग्रह=कुछ रफ़ू कुछ थिगड़े / अशोक ...) |
|||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=अशोक वाजपेयी | |रचनाकार=अशोक वाजपेयी | ||
|संग्रह=कुछ रफ़ू कुछ थिगड़े / अशोक वाजपेयी | |संग्रह=कुछ रफ़ू कुछ थिगड़े / अशोक वाजपेयी | ||
− | }} | + | }} |
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | <poem> | |
वह पत्ती हवा में हलके से काँपी | वह पत्ती हवा में हलके से काँपी | ||
− | |||
− | |||
हवा उस पत्ती के पास से गुज़रते हुए हलके से काँपी | हवा उस पत्ती के पास से गुज़रते हुए हलके से काँपी | ||
− | |||
− | |||
एक बच्चा उधर बैठे ठण्ड से हलका सा काँपा | एक बच्चा उधर बैठे ठण्ड से हलका सा काँपा | ||
− | |||
− | |||
एक बूढ़े के लगभग मरणासन्न चेहरे पर | एक बूढ़े के लगभग मरणासन्न चेहरे पर | ||
− | |||
− | |||
जीवन फिर से काँपा और शान्त हो गया । | जीवन फिर से काँपा और शान्त हो गया । | ||
+ | </poem> |
18:38, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
वह पत्ती हवा में हलके से काँपी
हवा उस पत्ती के पास से गुज़रते हुए हलके से काँपी
एक बच्चा उधर बैठे ठण्ड से हलका सा काँपा
एक बूढ़े के लगभग मरणासन्न चेहरे पर
जीवन फिर से काँपा और शान्त हो गया ।