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कहने को यही था कि किशोर अब गुब्बारे में चला गया है लेकिन | कहने को यही था कि किशोर अब गुब्बारे में चला गया है लेकिन | ||
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वहाँ रहना मुश्किल है दुनिया से बचते हुए | वहाँ रहना मुश्किल है दुनिया से बचते हुए | ||
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खाने नहाने सोने प्यार करने को | खाने नहाने सोने प्यार करने को | ||
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दुनिया में लौटना होता है किशोर को भी | दुनिया में लौटना होता है किशोर को भी | ||
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यदि कोई बनाये तो किशोर का चित्र सिर्फ काले रंग से बनेगा | यदि कोई बनाये तो किशोर का चित्र सिर्फ काले रंग से बनेगा | ||
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वह बाक़ी रंग गुब्बारे में अब रख आता है | वह बाक़ी रंग गुब्बारे में अब रख आता है | ||
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वहीं करेगा आइंदा मेकप अपने हैमलेट होरी घासीराम का | वहीं करेगा आइंदा मेकप अपने हैमलेट होरी घासीराम का | ||
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यहाँ बड़ी ग़रीबी है कम्पनी के पर्दे मैले और घायल हैं | यहाँ बड़ी ग़रीबी है कम्पनी के पर्दे मैले और घायल हैं | ||
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हनुमान दिन में कोचिंग सेंटर रात में भाँग की दुकान चलाता है | हनुमान दिन में कोचिंग सेंटर रात में भाँग की दुकान चलाता है | ||
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होरी फिर से कर्ज़ में है | होरी फिर से कर्ज़ में है | ||
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और इस बार उसे आत्महत्या कर लेनी चाहिए | और इस बार उसे आत्महत्या कर लेनी चाहिए | ||
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कुछ अप्रासंगिक पुराने असफल चेहरे बिना पूछे बताते हैं कि होरी का पार्ट | कुछ अप्रासंगिक पुराने असफल चेहरे बिना पूछे बताते हैं कि होरी का पार्ट | ||
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एक अर्सा पहले, किशोर ही अदा करता था या कोई और करता था | एक अर्सा पहले, किशोर ही अदा करता था या कोई और करता था | ||
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इस बीच एक दिन वह मुझसे कुछ कह रहा था या पैसे माँग रहा था | इस बीच एक दिन वह मुझसे कुछ कह रहा था या पैसे माँग रहा था | ||
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असफल लोगों को याद है या याद नहीं है | असफल लोगों को याद है या याद नहीं है | ||
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मुझसे किशोर ने कुछ कहा था या नहीं कहा था | मुझसे किशोर ने कुछ कहा था या नहीं कहा था | ||
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विपत्ति है थियेटर घर फूँककर तमाशा देखना पड़ता है | विपत्ति है थियेटर घर फूँककर तमाशा देखना पड़ता है | ||
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दर्शक आते हैं या नहीं आते | दर्शक आते हैं या नहीं आते | ||
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नहीं आते हैं या नहीं आते | नहीं आते हैं या नहीं आते | ||
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भारतेंदु के मंच पर आग लग गई है लोग बदहवास होकर अंग्रेजी में भाग रहे हैं | भारतेंदु के मंच पर आग लग गई है लोग बदहवास होकर अंग्रेजी में भाग रहे हैं | ||
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किशोर देखता हुआ यह सब अपने मुँह के चित्र में खैनी जमाता है ग़ायब हो जाता है | किशोर देखता हुआ यह सब अपने मुँह के चित्र में खैनी जमाता है ग़ायब हो जाता है | ||
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शाहख़र्च रहा शुरू से अब साँस ख़र्च करता है गुब्बारे फुलाता है | शाहख़र्च रहा शुरू से अब साँस ख़र्च करता है गुब्बारे फुलाता है | ||
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सुरीला था किशोर राग भर देता है गुब्बारों के खेल में बच्चे | सुरीला था किशोर राग भर देता है गुब्बारों के खेल में बच्चे | ||
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यमन अहीर भैरव तिलक कामोद उड़ाते हैं अपने हिस्से के खेल में | यमन अहीर भैरव तिलक कामोद उड़ाते हैं अपने हिस्से के खेल में | ||
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बहुत ज्यादा समय में बहुत थोड़ा किशोर है | बहुत ज्यादा समय में बहुत थोड़ा किशोर है | ||
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साँस लेने की आदत में बचा हुआ | साँस लेने की आदत में बचा हुआ | ||
गाता | गाता | ||
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01:46, 11 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण
कहने को यही था कि किशोर अब गुब्बारे में चला गया है लेकिन
वहाँ रहना मुश्किल है दुनिया से बचते हुए
खाने नहाने सोने प्यार करने को
दुनिया में लौटना होता है किशोर को भी
यदि कोई बनाये तो किशोर का चित्र सिर्फ काले रंग से बनेगा
वह बाक़ी रंग गुब्बारे में अब रख आता है
वहीं करेगा आइंदा मेकप अपने हैमलेट होरी घासीराम का
यहाँ बड़ी ग़रीबी है कम्पनी के पर्दे मैले और घायल हैं
हनुमान दिन में कोचिंग सेंटर रात में भाँग की दुकान चलाता है
होरी फिर से कर्ज़ में है
और इस बार उसे आत्महत्या कर लेनी चाहिए
कुछ अप्रासंगिक पुराने असफल चेहरे बिना पूछे बताते हैं कि होरी का पार्ट
एक अर्सा पहले, किशोर ही अदा करता था या कोई और करता था
इस बीच एक दिन वह मुझसे कुछ कह रहा था या पैसे माँग रहा था
असफल लोगों को याद है या याद नहीं है
मुझसे किशोर ने कुछ कहा था या नहीं कहा था
विपत्ति है थियेटर घर फूँककर तमाशा देखना पड़ता है
दर्शक आते हैं या नहीं आते
नहीं आते हैं या नहीं आते
भारतेंदु के मंच पर आग लग गई है लोग बदहवास होकर अंग्रेजी में भाग रहे हैं
किशोर देखता हुआ यह सब अपने मुँह के चित्र में खैनी जमाता है ग़ायब हो जाता है
शाहख़र्च रहा शुरू से अब साँस ख़र्च करता है गुब्बारे फुलाता है
सुरीला था किशोर राग भर देता है गुब्बारों के खेल में बच्चे
यमन अहीर भैरव तिलक कामोद उड़ाते हैं अपने हिस्से के खेल में
बहुत ज्यादा समय में बहुत थोड़ा किशोर है
साँस लेने की आदत में बचा हुआ गाता