"धुआँ और गुलाल / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा | |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा | ||
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सिर पर धरे धुएँ की गठरी | सिर पर धरे धुएँ की गठरी | ||
मुँह पर मले गुलाल | मुँह पर मले गुलाल | ||
चले हम | चले हम | ||
धोने रंज मलाल ! | धोने रंज मलाल ! | ||
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होली है पर्याय खुशी का | होली है पर्याय खुशी का | ||
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चले हम | चले हम | ||
धोने रंज मलाल ! | धोने रंज मलाल ! | ||
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होली है उल्लास | होली है उल्लास | ||
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चले हम | चले हम | ||
धोने रंज मलाल ! | धोने रंज मलाल ! | ||
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गाली दे तुम हँसो | गाली दे तुम हँसो | ||
पंक्ति 77: | पंक्ति 72: | ||
चले हम | चले हम | ||
धोने रंज मलाल ! | धोने रंज मलाल ! | ||
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19:12, 15 मार्च 2011 के समय का अवतरण
सिर पर धरे धुएँ की गठरी
मुँह पर मले गुलाल
चले हम
धोने रंज मलाल !
होली है पर्याय खुशी का
खुलें
और
खिल जाएँ हम;
होली है पर्याय नशे का -
पिएँ
और
भर जाएँ हम;
होली है पर्याय रंग का -
रँगें
और
रंग जाएँ हम;
होली है पर्याय प्रेम का -
मिलें
और
खो जाएँ हम;
होली है पर्याय क्षमा का -
घुलें
और
धुल जाएँ गम !
मन के घाव
सभी भर जाएँ,
मिटें द्वेष जंजाल;
चले हम
धोने रंज मलाल !
होली है उल्लास
हास से भरी ठिठोली,
होली ही है रास
और है वंशी होली
होली स्वयम् मिठास
प्रेम की गाली है,
पके चने के खेत
गेहुँ की बाली है
सरसों के पीले सर में
लहरी हरियाली है,
यह रात पूर्णिमा वाली
पगली
मतवाली है।
मादकता में सब डूबें
नाचें
गलबहियाँ डालें;
तुम रहो न राजा
राजा
मैं आज नहीं कंगाल;
चले हम
धोने रंज मलाल !
गाली दे तुम हँसो
और मैं तुमको गले लगाऊँ,
अभी कृष्ण मैं बनूँ
और फिर राधा भी बन जाऊँ;
पल में शिव-शंकर बन जाएँ
पल में भूत मंडली हो।
ढोल बजें,
थिरकें नट-नागर,
जनगण करें धमाल;
चले हम
धोने रंज मलाल !