भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अनुपस्थित / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<Poem>
 
<Poem>
 
शहतूत की पत्ती पर
 
शहतूत की पत्ती पर
पंक्ति 22: पंक्ति 23:
 
`पाकिस्तान ज़िन्दाबाद` के
 
`पाकिस्तान ज़िन्दाबाद` के
 
बोझ तले !  
 
बोझ तले !  
 
 
 
 
 
 
</poem>
 
</poem>

20:03, 24 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

शहतूत की पत्ती पर
रेशम के कीड़े हैं,
भारत के स्विट्ज़रलैंड में
बकरी हैं, भेड़ें हैं,
गूजर हैं, बकरवाल हैं,
पंडित हैं, शेख हैं,
सेव और बादाम हैं,
पश्मीना है और केसर भी.
चश्मों का जल आज भी
पहले सा ठंडा और मीठा है.

पर एक चीज़ है
जो सिरे से गायब है -
एक उन्मुक्त संगीत
जो दम तोड़ रहा है
`पाकिस्तान ज़िन्दाबाद` के
बोझ तले !