भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पिता-2 / नरेश चंद्रकर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेश चंद्रकर |संग्रह=बातचीत की उड़ती धूल में / न...)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=नरेश चंद्रकर
 
|रचनाकार=नरेश चंद्रकर
 
|संग्रह=बातचीत की उड़ती धूल में / नरेश चंद्रकर
 
|संग्रह=बातचीत की उड़ती धूल में / नरेश चंद्रकर
}}
+
}}{{KKCatKavita}}
 +
{{KKAnthologyPita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
जादू उतरता है उनके स्नेह में
 
जादू उतरता है उनके स्नेह में

00:57, 19 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

जादू उतरता है उनके स्नेह में

सहलाते हैं पीठ जब उनके हाथ
बहुत सारा दुख उड़ जाता है

कबूतर बनकर अनन्त में

बहुत दिनों तक
फिर वह अपने पास नहीं आता!!