भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तरान-ए-उर्दू / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
 +
|संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री
 +
}}
 +
{{KKCatNazm}}
 +
<poem>
 
हमारी प्यारी ज़बान उर्दू
 
हमारी प्यारी ज़बान उर्दू
 
हमारे नग़्मों की जान उर्दू
 
हमारे नग़्मों की जान उर्दू
पंक्ति 16: पंक्ति 23:
 
यह वह ज़बाँ है कि जिसने ज़िन्दाँ की तीरगी में दिये जलाये
 
यह वह ज़बाँ है कि जिसने ज़िन्दाँ की तीरगी में दिये जलाये
 
यह वह ज़बाँ है कि जिसके शो’लों से जल गये फाँसियों के साये
 
यह वह ज़बाँ है कि जिसके शो’लों से जल गये फाँसियों के साये
फ़राज़े-दारो-रसन१ से भी हमने सरफ़रोशी के गीत गाये
+
फ़राज़े-दारो-रसन<ref>सूली की रस्सी की ऊँचाई</ref> से भी हमने सरफ़रोशी के गीत गाये
 
हमारी प्यारी ज़बान उर्दू
 
हमारी प्यारी ज़बान उर्दू
 
हमारे नग़्मों की जान उर्दू
 
हमारे नग़्मों की जान उर्दू
 
हसीन दिलकश जवान उर्दू
 
हसीन दिलकश जवान उर्दू
 
चले हैं गंगो-जमन की वादी से हम हवाए-बहार बनकर
 
चले हैं गंगो-जमन की वादी से हम हवाए-बहार बनकर
हिमालया से उतर रहे हैं तरान-ए-आबशार२ बनकर
+
हिमालया से उतर रहे हैं तरान-ए-आबशार<ref>झरना</ref>
 +
बनकर
 
रवाँ हैं हिन्दोस्ताँ की रग-रग में ख़ून की सुर्ख़ घार बनकर
 
रवाँ हैं हिन्दोस्ताँ की रग-रग में ख़ून की सुर्ख़ घार बनकर
 
हमारी प्यारी ज़बान उर्दू
 
हमारी प्यारी ज़बान उर्दू
पंक्ति 27: पंक्ति 35:
 
हसीन दिलकश जवान उर्दू
 
हसीन दिलकश जवान उर्दू
  
 
+
{{KKMeaning}}
१.सूली की रस्सी की ऊँचाई  २.झरना
+
</poem>

00:10, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

 
हमारी प्यारी ज़बान उर्दू
हमारे नग़्मों की जान उर्दू
हसीन दिलकश जवान उर्दू
यह वह ज़बाँ है कि जिसको गंगा के जल से पाकीज़गी मिली है
अवध की ठण्डी हवा के झोंकों में जिसके दिल की कली खिली है
जो शे’रो-नग़मा के खुल्दज़ारों मे आज कोयल-सी कूकती है
हमारी प्यारी ज़बान उर्दू
हमारे नग़्मों की जान उर्दू
हसीन दिलकश जवान उर्दू
इसी ज़बाँ में हमारे बचपन ने माँओं से लोरियाँ सुनी हैं
जवान होकर इसी ज़बाँ में कहानियाँ इश्क़ ने कही हैं
इसी ज़बाँ के चमकते हीरों से इल्म की झोलियाँ भरी हैं
हमारी प्यारी ज़बान उर्दू
हमारे नग़्मों की जान उर्दू
हसीन दिलकश जवान उर्दू
यह वह ज़बाँ है कि जिसने ज़िन्दाँ की तीरगी में दिये जलाये
यह वह ज़बाँ है कि जिसके शो’लों से जल गये फाँसियों के साये
फ़राज़े-दारो-रसन<ref>सूली की रस्सी की ऊँचाई</ref> से भी हमने सरफ़रोशी के गीत गाये
हमारी प्यारी ज़बान उर्दू
हमारे नग़्मों की जान उर्दू
हसीन दिलकश जवान उर्दू
चले हैं गंगो-जमन की वादी से हम हवाए-बहार बनकर
हिमालया से उतर रहे हैं तरान-ए-आबशार<ref>झरना</ref>
 बनकर
रवाँ हैं हिन्दोस्ताँ की रग-रग में ख़ून की सुर्ख़ घार बनकर
हमारी प्यारी ज़बान उर्दू
हमारे नग़्मों की जान उर्दू
हसीन दिलकश जवान उर्दू

शब्दार्थ
<references/>