भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कब वो सुनता है कहानी मेरी / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=ग़ालिब
+
|रचनाकार= ग़ालिब
 +
|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
 
}}
 
}}
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 +
<poem>
 +
कब वो सुनता है कहानी मेरी
 +
और फिर वो भी ज़बानी मेरी
  
कब वो सुनता है कहानी मेरी<br>
+
ख़लिशे-ग़म्ज़-ए-खूँरेज़<ref>रक्तिम कटाक्ष की चुभन</ref> न पूछ
और फिर वो भी ज़बानी मेरी<br><br>
+
देख ख़ूनाबा-फ़िशानी<ref>रक्त-अश्रु-बहाना</ref> मेरी
  
ख़लिश-ए-ग़्मज़ा-ए-खूँरेज़ ना पूछ<br>
+
क्या बयाँ करके मेरा रोएँगे यार
देख खुनबफ़िशानी मेरी<br><br>
+
मगर आशुफ़्ता-बयानी<ref>झूठी कहानी,बकवास</ref> मेरी
  
क्या बयाँ करके मेरा रोएँगे यार<br>
+
हूँ ज़िख़ुद-रफ़्ताए-बैदा-ए-ख़याल<ref>कल्पना के जंजाल में खोया हुआ</ref>
मगर अशुफ़्ता-बयानी मेरी<br><br>
+
भूल जाना है निशानी मेरी
  
हूँ ज़िखुद रफ़्ता-ए-बैदा-ए-ख़्याल<br>
+
मुत्तक़ाबिल<ref>जो मुक़ाबले पर न आ सके</ref> है मुक़ाबिल<ref>प्रतिद्वन्द्वी</ref> मेरा
भूल जाना है निशानी मेरी<br><br>
+
रुक गया देख रवानी मेरी
  
मुत्काबिल है मुक़ाबिल मेरा<br>
+
क़द्रे-संगे-सरे-रह<ref>सड़क किनारे पड़े पत्थर जितनी कीमत</ref> रखता हूँ
रुक गया देख रवानी मेरी<br><br>
+
सख़्त-अर्ज़ाँ<ref>तुच्छ</ref> है गिरानी<ref>महत्ता</ref> मेरी
  
क़द्र-ए-संग-ए-सर-ए-राह रखता हूँ<br>
+
गर्द-बाद-ए-रहे-बेताबी<ref>बेचैनी की सड़क की आँधी</ref> हूँ
सख़्त अर्ज़ान है गिरानी मेरी<br><br>
+
सरसरे-शौक़<ref>जोश की आँधी</ref> है बानी<ref>विशेषता</ref> मेरी
  
दहन उसका जो न मालूम हुआ<br>
+
दहन<ref>मुँह</ref> उसका जो न मालूम हुआ
खुल गयी है चमनदानी मेरी<br><br>
+
खुल गयी हेच-मदानी<ref>मूर्खता</ref> मेरी
  
कर दिया ज़ौफ़ ने अज़ीज़ "ग़ालिब"<br>
+
कर दिया ज़ओफ़<ref>निर्बलता</ref> ने आज़िज़<ref>तंग,दुखी
नंग-ए-पीरी है जवानी मेरी<br><br>
+
</ref> "ग़ालिब"
 +
नंग-ए-पीरी<ref>बुढ़ापे को लज्जित करने वाली</ref> है जवानी मेरी
 +
</poem>
 +
{{KKMeaning}}

02:42, 14 मार्च 2010 के समय का अवतरण

कब वो सुनता है कहानी मेरी
और फिर वो भी ज़बानी मेरी

ख़लिशे-ग़म्ज़-ए-खूँरेज़<ref>रक्तिम कटाक्ष की चुभन</ref> न पूछ
देख ख़ूनाबा-फ़िशानी<ref>रक्त-अश्रु-बहाना</ref> मेरी

क्या बयाँ करके मेरा रोएँगे यार
मगर आशुफ़्ता-बयानी<ref>झूठी कहानी,बकवास</ref> मेरी

हूँ ज़िख़ुद-रफ़्ताए-बैदा-ए-ख़याल<ref>कल्पना के जंजाल में खोया हुआ</ref>
भूल जाना है निशानी मेरी

मुत्तक़ाबिल<ref>जो मुक़ाबले पर न आ सके</ref> है मुक़ाबिल<ref>प्रतिद्वन्द्वी</ref> मेरा
रुक गया देख रवानी मेरी

क़द्रे-संगे-सरे-रह<ref>सड़क किनारे पड़े पत्थर जितनी कीमत</ref> रखता हूँ
सख़्त-अर्ज़ाँ<ref>तुच्छ</ref> है गिरानी<ref>महत्ता</ref> मेरी

गर्द-बाद-ए-रहे-बेताबी<ref>बेचैनी की सड़क की आँधी</ref> हूँ
सरसरे-शौक़<ref>जोश की आँधी</ref> है बानी<ref>विशेषता</ref> मेरी

दहन<ref>मुँह</ref> उसका जो न मालूम हुआ
खुल गयी हेच-मदानी<ref>मूर्खता</ref> मेरी

कर दिया ज़ओफ़<ref>निर्बलता</ref> ने आज़िज़<ref>तंग,दुखी
</ref> "ग़ालिब"
नंग-ए-पीरी<ref>बुढ़ापे को लज्जित करने वाली</ref> है जवानी मेरी

शब्दार्थ
<references/>