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"पैराहन-ए-शरर / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर

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बदन है चूर तो माथे से ख़ून जारी है
 
ज़माना गुज़रा कि फ़रहादो-कै़स ख़्त्म हुए
 
ज़माना गुज़रा कि फ़रहादो-कै़स ख़्त्म हुए
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कोई दिवाना है, लेता है सच का नाम अब तक
 
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१.चिनगारी का परिधान २.छल-छद्म ३.दण्ड का विधान, जिसके अनुसार अपराधी को पत्थर मारे जाते हैं।
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10:05, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

खडा़ है कौन पैराहन-ए-शरर<ref>चिनगारी का परिधान</ref> पहने
बदन है चूर तो माथे से ख़ून जारी है
ज़माना गुज़रा कि फ़रहादो-कै़स ख़्त्म हुए
यह किस पे अहले-जहाँ, हुकमे-संगबारी है
यहाँ तो कोई भी शीरीं-अदा निगार नहीं
यहाँ तो कोई भी लैला-बदन बहार नहीं
यह किसके नाम पे ज़ख़्मों की लाल-कारी है

कोई दिवाना है, लेता है सच का नाम अब तक
फ़रेबो-मक्र<ref>छल-छद्म</ref> को करता नहीं सलाम अब तक
है बात साफ़ सज़ा उसकी संगसारी<ref>दण्ड का विधान, जिसके अनुसार अपराधी को पत्थर मारे जाते हैं</ref>
 है



शब्दार्थ
<references/>