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"ये बेकसो-बेक़रार चेहरे(ग़ज़ल) / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर

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'''ग़ज़ल३'''
 
 
 
ये बेकसो-बेक़रार चेहरे
 
ये बेकसो-बेक़रार चेहरे
 
सदियों के ये सोगवार चेहरे
 
सदियों के ये सोगवार चेहरे
  
मिट्टी में पडे दमक रहे हैं
+
मिट्टी में पड़े दमक रहे हैं
हीरों की तरह हज़ार चेहरे
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हीरों की तरह हज़ार चेहरे
  
 
ले जाके इन्हें कहाँ सजाएँ
 
ले जाके इन्हें कहाँ सजाएँ
 
ये भूक के शाहकार<ref>भूख की सर्वोत्तम कृति</ref> चेहरे
 
ये भूक के शाहकार<ref>भूख की सर्वोत्तम कृति</ref> चेहरे
  
अफ़्रिका़-ओ-एशिया की ज़ीनत
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अफ़्रीका -ओ-एशिया की ज़ीनत
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ये नादिरे-रोज़गार<ref>दुनिया भर में सब से श्रेष्ठ</ref>चेहरे
  
 
माज़ी के खण्डर की तरह दिलकश
 
माज़ी के खण्डर की तरह दिलकश
 
ये शम्‌ए-सरे-मज़ार चेहरे
 
ये शम्‌ए-सरे-मज़ार चेहरे
  
फ़ीके हैं फ़रोगे-जर के बावस्फ़
+
फ़ीके हैं फ़रोगे-जर के बावस्फ़
ताबिन्दा हैं ख़ाक़सार चेहरे
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ताबिन्दा हैं ख़ाक़सार चेहरे
  
 
गुज़रे हैं निगाहो-दिल से होकर
 
गुज़रे हैं निगाहो-दिल से होकर
 
हर तरह के बेशुमार चेहरे
 
हर तरह के बेशुमार चेहरे
  
मग़रूर अना के घोंसलों में
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मग़रूर अना के घोंसलों में
बैठे हुए कमइयार<ref>ख़राब व्यक्ति</ref> चेहरे
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बैठे हुए कमइयार<ref>ख़राब व्यक्ति</ref> चेहरे
  
 
नाक़ाबिले-इल्तिफ़ात<ref>उपेक्षा करने योग्य</ref> आँखें
 
नाक़ाबिले-इल्तिफ़ात<ref>उपेक्षा करने योग्य</ref> आँखें
 
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शुहरत<ref>ख्याति</ref> के बलन्द आस्माँ पर
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शुहरत<ref>ख्याति</ref> के बलन्द आस्माँ पर
छुटते हुए-से अनार चेहरे
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छुटते हुए-से अनार चेहरे
  
 
पल भर में धुआँ-धुआँ मगर सब
 
पल भर में धुआँ-धुआँ मगर सब
पल भर में फ़क़त गुबार चेहरे
+
पल भर में फ़क़त ग़ुबार चेहरे
  
सोने का चढा़ है पानी
+
सोने का चढ़ा है पानी
पीतल के ये शानदार चेहरे
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पीतल के ये शानदार चेहरे
  
 
पहने हैं नक़ाबे-पारसाई
 
पहने हैं नक़ाबे-पारसाई
 
जन्नत के कि़रायादार चेहरे
 
जन्नत के कि़रायादार चेहरे
  
इन सब से मगर हसीनतर हैं
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इन सब से मगर हसीनतर हैं
रिन्दों के गुनाहगार चेहरे
+
रिन्दों के गुनाहगार चेहरे
  
 
हँसते हुए नैज़ा-ओ-सिनाँ पर
 
हँसते हुए नैज़ा-ओ-सिनाँ पर
 
वो शबनमे-नोके-ख़ार चेहरे
 
वो शबनमे-नोके-ख़ार चेहरे
  
चुपके-चुपके सुलग रहे हैं
+
चुपके-चुपके सुलग रहे हैं
आतशकदः ए-बहार चेहरे
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आतशकदः ए-बहार चेहरे
  
 
शो’लों के मिज़ाज-आशना हैं
 
शो’लों के मिज़ाज-आशना हैं
 
बर्फ़ाब-से बेशरार चेहरे
 
बर्फ़ाब-से बेशरार चेहरे
  
उम्मीद की शम्‌अ़ से फ़ुरोज़ाँ
+
उम्मीद की शम्‌अ़ से फ़ुरोज़ाँ
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10:38, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

ये बेकसो-बेक़रार चेहरे
सदियों के ये सोगवार चेहरे

मिट्टी में पड़े दमक रहे हैं
हीरों की तरह हज़ार चेहरे

ले जाके इन्हें कहाँ सजाएँ
ये भूक के शाहकार<ref>भूख की सर्वोत्तम कृति</ref> चेहरे

अफ़्रीका -ओ-एशिया की ज़ीनत
ये नादिरे-रोज़गार<ref>दुनिया भर में सब से श्रेष्ठ</ref>चेहरे

माज़ी के खण्डर की तरह दिलकश
ये शम्‌ए-सरे-मज़ार चेहरे

फ़ीके हैं फ़रोगे-जर के बावस्फ़
ताबिन्दा हैं ख़ाक़सार चेहरे

गुज़रे हैं निगाहो-दिल से होकर
हर तरह के बेशुमार चेहरे

मग़रूर अना के घोंसलों में
बैठे हुए कमइयार<ref>ख़राब व्यक्ति</ref> चेहरे

नाक़ाबिले-इल्तिफ़ात<ref>उपेक्षा करने योग्य</ref> आँखें
नाक़ाबिले-ऐतिबार<ref>अविश्वासनीय</ref> चेहरे

शुहरत<ref>ख्याति</ref> के बलन्द आस्माँ पर
छुटते हुए-से अनार चेहरे

पल भर में धुआँ-धुआँ मगर सब
पल भर में फ़क़त ग़ुबार चेहरे

सोने का चढ़ा है पानी
पीतल के ये शानदार चेहरे

पहने हैं नक़ाबे-पारसाई
जन्नत के कि़रायादार चेहरे

इन सब से मगर हसीनतर हैं
रिन्दों के गुनाहगार चेहरे

हँसते हुए नैज़ा-ओ-सिनाँ पर
वो शबनमे-नोके-ख़ार चेहरे

चुपके-चुपके सुलग रहे हैं
आतशकदः ए-बहार चेहरे

शो’लों के मिज़ाज-आशना हैं
बर्फ़ाब-से बेशरार चेहरे

उम्मीद की शम्‌अ़ से फ़ुरोज़ाँ
शाइस्तः ए-इन्तिज़ार<ref>प्रतीक्षा के योग्य</ref> चेहरे

शब्दार्थ
<references/>