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"दो शे’र१ / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर

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दो शे’र१
 
 
 
ये कौन आया शबे-वस्ल का जमाल लिए
 
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तमाम उम्रे-गुज़श्ता<ref>बीती हुई उम्र</ref> के माहो-साल लिए
 
तमाम उम्रे-गुज़श्ता<ref>बीती हुई उम्र</ref> के माहो-साल लिए

09:53, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

ये कौन आया शबे-वस्ल का जमाल लिए
तमाम उम्रे-गुज़श्ता<ref>बीती हुई उम्र</ref> के माहो-साल लिए

हज़ार रंगे-खिज़ाँ का बदन पे पैराहन
ज़वाले-हुस्न<ref>सौन्दर्य का ह्रास</ref> में भी हुस्ने-लाज़वाल लिए

शब्दार्थ
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