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"गोपिन के अँसुवान के नीर / तोष" के अवतरणों में अंतर
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गोपिन के अँसुवान के नीर पनारे बहे बहिकै भए नारे । | गोपिन के अँसुवान के नीर पनारे बहे बहिकै भए नारे । | ||
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नारे भए ते भई नदियाँ नदियाँ नद ह्वै गए काटि कगारे । | नारे भए ते भई नदियाँ नदियाँ नद ह्वै गए काटि कगारे । | ||
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बेगि चलौ तो चलो ब्रज को कवि तोष कहै ब्रजराज दुलारे । | बेगि चलौ तो चलो ब्रज को कवि तोष कहै ब्रजराज दुलारे । | ||
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वे नद चाहत सिँधु भए अब सिँधु ते ह्वै हैँ जलाजल खारे । | वे नद चाहत सिँधु भए अब सिँधु ते ह्वै हैँ जलाजल खारे । | ||
12:08, 3 जून 2009 के समय का अवतरण
गोपिन के अँसुवान के नीर पनारे बहे बहिकै भए नारे ।
नारे भए ते भई नदियाँ नदियाँ नद ह्वै गए काटि कगारे ।
बेगि चलौ तो चलो ब्रज को कवि तोष कहै ब्रजराज दुलारे ।
वे नद चाहत सिँधु भए अब सिँधु ते ह्वै हैँ जलाजल खारे ।
तोष का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।