भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"राम, तुम्हारा नाम / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर" |संग्रह=भग्न वीणा / रामधारी ...)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर"
 
|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर"
 
|संग्रह=भग्न वीणा / रामधारी सिंह "दिनकर"
 
|संग्रह=भग्न वीणा / रामधारी सिंह "दिनकर"
}}<poem>राम, तुम्हारा नाम कंठ में रहे,  
+
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 +
राम, तुम्हारा नाम कंठ में रहे,  
 
हृदय, जो कुछ भेजो, वह सहे,  
 
हृदय, जो कुछ भेजो, वह सहे,  
 
दुख से त्राण नहीं माँगूँ।
 
दुख से त्राण नहीं माँगूँ।

18:35, 27 अगस्त 2020 के समय का अवतरण

राम, तुम्हारा नाम कंठ में रहे,
हृदय, जो कुछ भेजो, वह सहे,
दुख से त्राण नहीं माँगूँ।

माँगू केवल शक्ति दुख सहने की,
दुर्दिन को भी मान तुम्हारी दया
अकातर ध्यानमग्न रहने की।

देख तुम्हारे मृत्यु दूत को डरूँ नहीं,
न्योछावर होने में दुविधा करूँ नहीं।
तुम चाहो, दूँ वही,
कृपण हौ प्राण नहीं माँगूँ।