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"गुस्सा / महमूद दरवेश" के अवतरणों में अंतर

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काले हो गए
 
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मेरे दिल के गुलाब
 
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मेरे होठों से निकलीं
 
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ज्वालाएँ वेगवती
 
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क्या जंगल,क्या नर्क
 
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क्या तुम आए हो
 
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तुम सब भूखे शैतान!
 
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हाथ मिलाए थे मैंने
 
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भूख और निर्वासन से
 
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मेरे हाथ क्रोधित हैं
 
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क्रोधित है मेरा चेहरा
 
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मेरी रगों में बहते ख़ून में गुस्सा है
 
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मुझे क़सम है अपने दुख की
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मुझ से मत चाहो मरमराते गीत
 
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फूल भी जंगली हो गए हैं
 
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इस पराजित जंगल में
 
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मुझे कहने हैं अपने थके हुए शब्द
 
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मेरे पुराने घावों को आराम चाहिए
 
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यही मेरी पीड़ा है
 
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एक अन्धा प्रहार रेत पर
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और दूसरा बादलों पर
 
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यही बहुत है कि अब मैं क्रोधित हूँ
 
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लेकिन कल आएगी क्रान्ति
  
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'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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03:05, 5 अगस्त 2016 के समय का अवतरण

काले हो गए
मेरे दिल के गुलाब
मेरे होठों से निकलीं
ज्वालाएँ वेगवती
क्या जंगल,क्या नर्क
क्या तुम आए हो
तुम सब भूखे शैतान!

हाथ मिलाए थे मैंने
भूख और निर्वासन से
मेरे हाथ क्रोधित हैं
क्रोधित है मेरा चेहरा
मेरी रगों में बहते ख़ून में गुस्सा है
मुझे क़सम है अपने दुख की
मुझ से मत चाहो मरमराते गीत
फूल भी जंगली हो गए हैं
इस पराजित जंगल में

मुझे कहने हैं अपने थके हुए शब्द
मेरे पुराने घावों को आराम चाहिए
यही मेरी पीड़ा है

एक अन्धा प्रहार रेत पर
और दूसरा बादलों पर
यही बहुत है कि अब मैं क्रोधित हूँ
लेकिन कल आएगी क्रान्ति

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय