भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आते आते मेरा नाम / वसीम बरेलवी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
[[Category:गज़ल]]
 
[[Category:गज़ल]]
 
<poem>
 
<poem>
 +
आपको देख कर देखता रह गया
 +
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया
  
आते-आते मेरा नाम सा रह गया  
+
आते-आते मेरा नाम-सा रह गया  
 
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया
 
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया
  
पंक्ति 16: पंक्ति 18:
  
 
आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे  
 
आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे  
ये दिया कैसे जलता रह गया
+
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया
 
+
 
</poem>
 
</poem>

10:19, 5 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

आपको देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया

आते-आते मेरा नाम-सा रह गया
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया

वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया

झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये
और मैं था कि सच बोलता रह गया

आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया