Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
|||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= निमित्त / गिरधर राठी | |संग्रह= निमित्त / गिरधर राठी | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | वक़्त आया तो हम ने भी किए सीधे सवाल : | + | <poem> |
− | + | वक़्त आया तो हम ने भी किए सीधे सवाल: | |
किस ने दिया तुम्हें हक़? | किस ने दिया तुम्हें हक़? | ||
− | |||
किस ने? | किस ने? | ||
− | |||
किस ने? !!! | किस ने? !!! | ||
− | |||
हम ने किए सीधे सवाल दर सवाल दर सवाल | हम ने किए सीधे सवाल दर सवाल दर सवाल | ||
− | |||
− | |||
... | ... | ||
− | |||
शब्द थे | शब्द थे | ||
− | |||
हैं | हैं | ||
− | |||
होंगे हमारे सवाल | होंगे हमारे सवाल | ||
− | |||
भरे-पूरे, कटख़ने तीते | भरे-पूरे, कटख़ने तीते | ||
− | |||
तर्क के, रोष के, इंसानी हुमस के | तर्क के, रोष के, इंसानी हुमस के | ||
− | |||
शब्द | शब्द | ||
− | |||
लेकिन निरे शब्द | लेकिन निरे शब्द | ||
− | |||
तने कसे रुंधे मुक्त शब्द | तने कसे रुंधे मुक्त शब्द | ||
− | |||
शब्दहीन हो कर भी | शब्दहीन हो कर भी | ||
− | |||
शब्द | शब्द | ||
− | |||
निपट शब्द... | निपट शब्द... | ||
+ | </poem> |
14:13, 2 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
वक़्त आया तो हम ने भी किए सीधे सवाल:
किस ने दिया तुम्हें हक़?
किस ने?
किस ने? !!!
हम ने किए सीधे सवाल दर सवाल दर सवाल
...
शब्द थे
हैं
होंगे हमारे सवाल
भरे-पूरे, कटख़ने तीते
तर्क के, रोष के, इंसानी हुमस के
शब्द
लेकिन निरे शब्द
तने कसे रुंधे मुक्त शब्द
शब्दहीन हो कर भी
शब्द
निपट शब्द...