भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गोरैया / कविता वाचक्नवी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता वाचक्नवी }} <poem> '''गोरैया''' धूप के मुहाने पर ...) |
Kvachaknavee (चर्चा | योगदान) छो (वर्तनी व फॉर्मेट सुधार) |
||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
छोटी-सी गोरैया एक | छोटी-सी गोरैया एक | ||
खड़ी हो जाती है। | खड़ी हो जाती है। | ||
+ | |||
धूप समझती | धूप समझती | ||
चिड़िया के पंखों का विस्तार भी | चिड़िया के पंखों का विस्तार भी | ||
पंक्ति 20: | पंक्ति 21: | ||
मैं अभी | मैं अभी | ||
ठहर जाऊँ यदि-तब भी | ठहर जाऊँ यदि-तब भी | ||
− | डरती है धूप | + | और डरती है धूप |
मेरी छाया तक से भी। | मेरी छाया तक से भी। | ||
</poem> | </poem> |
06:10, 10 जून 2013 के समय का अवतरण
गोरैया
धूप के मुहाने पर
पाँव रख
छोटी-सी गोरैया एक
खड़ी हो जाती है।
धूप समझती
चिड़िया के पंखों का विस्तार भी
समेट लिया मैंने
और सोचती है चिड़िया
रोक सकती हूँ धूप
मैं अभी
ठहर जाऊँ यदि-तब भी
और डरती है धूप
मेरी छाया तक से भी।