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"वासंती नूपुर / कविता वाचक्नवी" के अवतरणों में अंतर

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मध्य एशिया के व्यापार मार्ग से
 
मध्य एशिया के व्यापार मार्ग से
जाती है अब भी
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बंजारों की टोलियाँ
 
बंजारों की टोलियाँ
रेत और धूल के बगूले उडा़ती
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रेत और धूल के बगूले उडा़तीं
 
छतनार किसी पेड़ तले
 
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सुरज अपनी लाल देग ले
 
सुरज अपनी लाल देग ले
 
छिप जाता है चुपके-चुपके
 
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बादलों के छौने
 
बादलों के छौने
 
पेड़ों पर पत्ते उचारते हैं
 
पेड़ों पर पत्ते उचारते हैं
स्वास्तिवाचन के मंत्र
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स्वस्तिवाचन के मंत्र,
 
मेहँदियों के वासंती नूपुर
 
मेहँदियों के वासंती नूपुर
 
छीन ले जाते हैं सँपोले
 
छीन ले जाते हैं सँपोले
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गुदड़ी में हीरे की कनी छिपाए
 
गुदड़ी में हीरे की कनी छिपाए
 
रेत के कच्चे घरौंदों के द्वार पर
 
रेत के कच्चे घरौंदों के द्वार पर
बचाती है नागफणियाँ
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बचाती है नागफणियाँ,
 
इन कहानियों के
 
इन कहानियों के
 
रच डालती हैं गीत,
 
रच डालती हैं गीत,
 
आनेवाली दस-बीस पीढ़ियाँ
 
आनेवाली दस-बीस पीढ़ियाँ
 
गाती रहेंगी सिर जोड़कर जिन्हें।
 
गाती रहेंगी सिर जोड़कर जिन्हें।
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22:02, 5 मार्च 2010 के समय का अवतरण


वासंती नूपुर


मध्य एशिया के व्यापार मार्ग से
जाती हैं अब भी
बंजारों की टोलियाँ
रेत और धूल के बगूले उडा़तीं
छतनार किसी पेड़ तले

                    चौका सजातीं।


सुरज अपनी लाल देग ले
छिप जाता है चुपके-चुपके
किसी ओट में
हवाओं में दौड़ते हैं
बादलों के छौने
पेड़ों पर पत्ते उचारते हैं
स्वस्तिवाचन के मंत्र,
मेहँदियों के वासंती नूपुर
छीन ले जाते हैं सँपोले
अभागी आशाएँ
गुदड़ी में हीरे की कनी छिपाए
रेत के कच्चे घरौंदों के द्वार पर
बचाती है नागफणियाँ,
इन कहानियों के
रच डालती हैं गीत,
आनेवाली दस-बीस पीढ़ियाँ
गाती रहेंगी सिर जोड़कर जिन्हें।