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"बच्चों की नाव में / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर

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मिलकर ये सारे ही
 
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हम-तुम खो जाएंगे उसी ठांव में।
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12:08, 2 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

आओ
चलें यात्रा पर
बच्चों की जादू की नाव में

नाव यह
बनाई है बच्चों ने
भोली मुस्कानों से
चिड़ियों के पंखों से
सीपी से
लहरों की तानों से

रेती पर
बालू के घर बने
टापू पर खेल रहे हैं बच्चे छाँव में

बच्चों की डोंगी में
परियाँ हैं
सूरज है - चांद है
हिरनों के छौने हैं
जंगल है
शेरों की मांद है

नाचेंगे
मिलकर ये सारे ही
पहुंचेगी डोंगी जब सपनों के गाँव में

वहाँ मिलेंगे हमको
लोग खड़े
इंद्रधनुष के पुल पर
नाव घाट लगते-ही
हमें लगेगा जैसे
आ पहुंचे अपने घर


वहीं
ढ़ाई आखर के मेले हैं
हम-तुम खो जाएँगे उसी ठाँव में।