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"वो जिबह करके यह कहते हैं / शाद अज़ीमाबादी" के अवतरणों में अंतर

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कि हो नियाम में और काट ले गुलू मेरा॥
 
कि हो नियाम में और काट ले गुलू मेरा॥
  
इसे कहते हैं खूबी हम तो इस खूबी के क़ायल हैं।
 
हुआ जब ज़िक्र यकताई का, नाम आया वहीं तेरा॥
 
 
बहुत सरगोशियाँ<ref>कानाफूसी</ref> करने लगे रस्ते में अब रहबर<ref>पथ-प्रदर्शक</ref>!
 
बहुत चर्चा है बाज़ारों में ऐ ख़िलवतनशीं<ref>एकांत में रहनेवाले</ref> तेरा॥
 
 
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14:46, 2 जुलाई 2009 के समय का अवतरण


वोह जिबह करके यह कहते हैं मेरी लाश से-।
"तड़प रहा है कि मुँह देखता है तू मेरा॥

कराहने में मुझे उज़्र क्या मगर ऐ दर्द।
गला दबाती है रह-रह के आबरू मेरा॥

कहाँ किसी में यह क़ुदरत सिवाय तेग़े-निगाह।
कि हो नियाम में और काट ले गुलू मेरा॥