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तीरगी का है सफ़र रुक जाओ | तीरगी का है सफ़र रुक जाओ |
22:59, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
तीरगी का है सफ़र रुक जाओ
बोले अनबोले हैं डर रुक जाओ
तुम्हारे पास वक़्त कम हो तो
ले लो तुम मेरी उमर रुक जाओ
हर ओर दुकाने ही दुकानें हैं
कोई मिल जाए जो घर रुक जाओ
जश्न में उस तरफ़ क्यों बिखरें हैं
किसी नन्हे परिंदे के पर रुक जाओ