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"क़ब्रगाह / संध्या गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
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उसी क़ब्रगाह पर खड़े हैं हम | उसी क़ब्रगाह पर खड़े हैं हम | ||
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01:00, 12 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
कितने लोग दफ़न हुए इस ज़मीन में
कितने घर और कितने मुल्क...
तबसे ...जबसे यह ज़मीन बनी है !
...उनकी क़ब्रगाह पर ही तो बसी हुई हैं
सारी बस्तियाँ
हमारे घर... शहर...
दुकान... मकान...
उसी क़ब्रगाह पर खड़े हैं हम
एक और क़ब्रगाह बसाए हुए !!