भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"काग़ज़ एक पेड़ है (कविता) / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस }} <poem> '''(काट दिए गए पेड़ की स्मृति में)'''...)
 
छो (काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस का नाम बदलकर काग़ज़ एक पेड़ है (कविता) / मुकेश मानस कर दिया गया है)
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=मुकेश मानस  
 
|रचनाकार=मुकेश मानस  
}}
+
|संग्रह=
 
+
}}  
 +
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
'''(काट दिए गए पेड़ की स्मृति में)'''
 
'''(काट दिए गए पेड़ की स्मृति में)'''

22:08, 13 मई 2010 के समय का अवतरण

(काट दिए गए पेड़ की स्मृति में)
 
 
महज़
एक फ़ालतू काग़ज़
हाथ में लेते ही
सामने आ खड़ा होता है
अथाह हरियाली
और अदभुत हलचल लिए
बरसों पुराना एक पेड़
 
काग़ज़ फाड़ना शुरू करते ही
पेड़ की मजबूत गठीली शाख़ों पर
महकती हुई खूबसूरत पत्तियाँ
पीली पड़ने लगती हैं
और धुंधलाने लगता है
शाखाओं का गाढ़ा रंग
 
महज़
एक फ़ालतू काग़ज़ फाड़ते ही
अपनी मज़बूत शाखाएँ
और हज़ारों-हज़ार पत्तियाँ लिए
अपनी सारी हरियाली और हलचल लिए
बरसों पुराना एक पेड़
अंधकार में विलीन हो जाता है
चुपचाप
कोई क्यों सहेज रखे आख़िर
एक फ़ालतू काग़ज़
चाहे वह वर्षों पुराना
कोई पेड़ ही क्यों ना हो


रचनाकाल : 2002