भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ख़ुदकुशी / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अहमद फ़राज़ |संग्रह= }} Category:नज़्म <poem> '''ख़ुदकुशी<ref...)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=अहमद फ़राज़
 
|रचनाकार=अहमद फ़राज़
|संग्रह=  
+
|संग्रह=दर्द आशोब / फ़राज़ ; ज़िंदगी ! ऐ ज़िंदगी ! / फ़राज़
 +
 
}}
 
}}
[[Category:नज़्म]]
+
{{KKCatNazm}}
 
<poem>
 
<poem>
 +
 
'''ख़ुदकुशी<ref>आत्महत्या</ref>'''
 
'''ख़ुदकुशी<ref>आत्महत्या</ref>'''
  
पंक्ति 17: पंक्ति 19:
 
क्या माज़ी<ref>अतीत</ref> क्या आइंदा<ref>भविष्यकाल</ref>
 
क्या माज़ी<ref>अतीत</ref> क्या आइंदा<ref>भविष्यकाल</ref>
 
हम दोनों अपने क़ातिल हैं
 
हम दोनों अपने क़ातिल हैं
हम दोनों अब तक ज़िन्दा
+
हम दोनों अब तक ज़िन्दा.
  
 
</poem>
 
</poem>
 +
 
{{KKMeaning}}
 
{{KKMeaning}}

17:38, 11 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण


ख़ुदकुशी<ref>आत्महत्या</ref>

वो पैमान<ref>वचन</ref> भी टूटे जिनको
हम समझे थे पाइंदा<ref>अनश्वर</ref>
वो शम्एं भी दाग हैं जिनको
बरसों रक्खा ताबिंदा<ref>प्रकाशमान</ref>
दोनों वफ़ा करके नाख़ुश<ref>अप्रसन्न</ref> हैं
दोनों किए पर शर्मिन्दा<ref>लज्जित</ref>
प्यार से प्यारा जीवन प्यारे
क्या माज़ी<ref>अतीत</ref> क्या आइंदा<ref>भविष्यकाल</ref>
हम दोनों अपने क़ातिल हैं
हम दोनों अब तक ज़िन्दा.

शब्दार्थ
<references/>