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"तीन रुबाइयां / अमजद हैदराबादी" के अवतरणों में अंतर
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दुनिया के हर इक ज़र्रे से घबराता हूँ। | दुनिया के हर इक ज़र्रे से घबराता हूँ। | ||
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ग़म सामने आता है, जिधर जाता हूँ। | ग़म सामने आता है, जिधर जाता हूँ। | ||
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रहते हुए इस जहाँ में मिल्लत गुज़री, | रहते हुए इस जहाँ में मिल्लत गुज़री, | ||
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फिर भी अपने को अजन्बी पाता हूँ॥ | फिर भी अपने को अजन्बी पाता हूँ॥ | ||
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दिलशाद अगर नहीं तो नाशाद सही, | दिलशाद अगर नहीं तो नाशाद सही, | ||
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लब पर नग़मा नहीं तो फ़रियाद सही। | लब पर नग़मा नहीं तो फ़रियाद सही। | ||
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हमसे दामन छुडा़ के जाने वाले, | हमसे दामन छुडा़ के जाने वाले, | ||
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जा- जा गर तू नहीं तेरी याद सही॥ | जा- जा गर तू नहीं तेरी याद सही॥ | ||
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गुलज़ार भी सहरा नज़र आता है मुझे, | गुलज़ार भी सहरा नज़र आता है मुझे, | ||
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अपना भी पराया नज़र आता है मुझे। | अपना भी पराया नज़र आता है मुझे। | ||
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दरिया-ए-वजूद में है तूफ़ाने-अदम, | दरिया-ए-वजूद में है तूफ़ाने-अदम, | ||
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हर क़तरे में ख़तरा नज़र आता है मुझे॥ | हर क़तरे में ख़तरा नज़र आता है मुझे॥ | ||
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23:13, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
दुनिया के हर इक ज़र्रे से घबराता हूँ।
ग़म सामने आता है, जिधर जाता हूँ।
रहते हुए इस जहाँ में मिल्लत गुज़री,
फिर भी अपने को अजन्बी पाता हूँ॥
दिलशाद अगर नहीं तो नाशाद सही,
लब पर नग़मा नहीं तो फ़रियाद सही।
हमसे दामन छुडा़ के जाने वाले,
जा- जा गर तू नहीं तेरी याद सही॥
गुलज़ार भी सहरा नज़र आता है मुझे,
अपना भी पराया नज़र आता है मुझे।
दरिया-ए-वजूद में है तूफ़ाने-अदम,
हर क़तरे में ख़तरा नज़र आता है मुझे॥