भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"फ़ित्ना-सामानियों की ख़ू न करे / असग़र गोण्डवी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
<poem>
 
<poem>
 
फ़ित्ना-सामानियों<ref>सांसारिक वस्तुओं</ref>  की ख़ू<ref>इच्छा</ref> न करे।
 
फ़ित्ना-सामानियों<ref>सांसारिक वस्तुओं</ref>  की ख़ू<ref>इच्छा</ref> न करे।
 
 
मुख़्तसर यह कि आरज़ू न करे॥
 
मुख़्तसर यह कि आरज़ू न करे॥
 
  
 
पहले हस्ती की है तलाश ज़रूर।
 
पहले हस्ती की है तलाश ज़रूर।
 
 
फिर जो गुम हो तो जुस्तजू न करे॥
 
फिर जो गुम हो तो जुस्तजू न करे॥
 
  
 
मावराये-सुख़न<ref>वाई का संयम</ref> भी है कुछ बात।
 
मावराये-सुख़न<ref>वाई का संयम</ref> भी है कुछ बात।
 
 
बात यह है कि गुफ़्तगू न करे॥
 
बात यह है कि गुफ़्तगू न करे॥
  

23:24, 24 जुलाई 2009 के समय का अवतरण

फ़ित्ना-सामानियों<ref>सांसारिक वस्तुओं</ref> की ख़ू<ref>इच्छा</ref> न करे।
मुख़्तसर यह कि आरज़ू न करे॥

पहले हस्ती की है तलाश ज़रूर।
फिर जो गुम हो तो जुस्तजू न करे॥

मावराये-सुख़न<ref>वाई का संयम</ref> भी है कुछ बात।
बात यह है कि गुफ़्तगू न करे॥




शब्दार्थ
<references/>