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"ईश्वर / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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12:58, 15 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
बहुत बडी जेबों वाला कोट पहने
ईश्वर मेरे पास आया था,
मेरी मां, मेरे पिता,
मेरे बच्चे और मेरी पत्नी को
खिलौनों की तरह,
जेब में डालकर चला गया
और कहा गया,
बहुत बडी दुनिया है
तुम्हारे मन बहलाने के लिए।
मैंने सुना है,
उसने कहीं खोल रक्खी है
खिलौनों की दुकान,
अभागे के पास
कितनी जरा-सी पूंजी है
रोजगार चलाने के लिए।