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"आखिर इस दिल की पुकारों में तुझको देख लिया / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
 
  
|संग्रह=पँखुरियाँ गुलाब की  / गुलाब खंडेलवाल
 
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<poem>
 
 
आखिर इस दिल की पुकारों में तुझको देख लिया
 
डूबते वक़्त किनारों में तुझको देख लिया
 
 
यों तो दुनिया में कहीं था न पता तेरा, मगर
 
हमने कुछ प्यार के मारों में तुझको देख लिया
 
 
फिर कभी लौटके आयी नहीं खुशबू वैसी
 
दिल ने सौ बार बहारों में तुझको देख लिया
 
 
हमने पायी है वही टूटते दिल की तस्वीर
 
जिन्दगी! चाँद-सितारों में तुझको देख लिया
 
 
तू भले ही रहा दुनिया से अलग होके गुलाब!
 
पर किसी ने था हज़ारों में तुझको देख लिया
 
 
<poem>
 

01:26, 1 जुलाई 2011 के समय का अवतरण