भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"यातना / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=नोमान शौक़ | |रचनाकार=नोमान शौक़ | ||
}} | }} | ||
− | [[Category: | + | [[Category:कत'आ]] |
<poem> | <poem> | ||
+ | 1. | ||
+ | |||
बुझती हुई सिगरेट | बुझती हुई सिगरेट | ||
देर तक दबी रहे उंगलियों में | देर तक दबी रहे उंगलियों में | ||
तो जला डालती है | तो जला डालती है | ||
स्पर्श की संवेदना | स्पर्श की संवेदना | ||
+ | |||
+ | 2. | ||
मृत शरीर | मृत शरीर | ||
पंक्ति 14: | पंक्ति 18: | ||
बदबू देने लगता है | बदबू देने लगता है | ||
थोड़े समय बाद | थोड़े समय बाद | ||
+ | |||
+ | 3. | ||
किसी टूटे हुए रिश्ते को | किसी टूटे हुए रिश्ते को |
15:02, 16 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
1.
बुझती हुई सिगरेट
देर तक दबी रहे उंगलियों में
तो जला डालती है
स्पर्श की संवेदना
2.
मृत शरीर
कितने ही प्रिय व्यक्ति का क्यों न हो
बदबू देने लगता है
थोड़े समय बाद
3.
किसी टूटे हुए रिश्ते को
अन्तिम साँस तक संभाल कर
जीने की चाह से
बड़ी नहीं होती
कोई यातना ।