भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वंस बड़ौ बड़ी संगति पाइ / बिहारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो (वंस बड़ौ बड़ी संगति पाइ का नाम बदलकर वंस बड़ौ बड़ी संगति पाइ / बिहारी कर दिया गया है) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=बिहारी | |
− | + | |संग्रह= | |
− | + | }} | |
− | + | ||
वंस बड़ौ बड़ी संगति पाइ, बड़ाई बड़ी खरी यौ जग झेली। | वंस बड़ौ बड़ी संगति पाइ, बड़ाई बड़ी खरी यौ जग झेली। | ||
00:01, 28 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
वंस बड़ौ बड़ी संगति पाइ, बड़ाई बड़ी खरी यौ जग झेली।
साँप फुकारन सीस रसारनु है सबसे जिय ऊपर खेली।
बाइक एक ही बार उजारि कै मारि सबै ब्रज नारि नवेली।
मोहन संग तू लै जसुरी, बसु (री) बँसुरी ब्रज आइ अकेली।।