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"तुमने क्या नहीं देखा / ठाकुरप्रसाद सिंह" के अवतरणों में अंतर
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नहीं, मुझे पहचाना | नहीं, मुझे पहचाना | ||
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जानोगे तब जब | जानोगे तब जब | ||
− | कुहरे-सी घिर | + | कुहरे-सी घिर जाऊँगी |
मैं क्या हूँ मौसम | मैं क्या हूँ मौसम | ||
− | जो बार-बार | + | जो बार-बार आऊँगी ! |
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00:21, 20 मार्च 2011 के समय का अवतरण
तुमने क्या नहीं देखा
आग-सी झलकती में
तुमने क्या नहीं देखा
बाढ़-सी उमड़ती में
नहीं, मुझे पहचाना
धूल भरी आँधी में
जानोगे तब जब
कुहरे-सी घिर जाऊँगी
मैं क्या हूँ मौसम
जो बार-बार आऊँगी !