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"फटा ट्वीड का नया कोट / नरेन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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हँसकर प्रिये, लगा दी थी जब  
 
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वह गुलाब की लाल कली ?
 
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कुसुम कली वह कब की सूखी,
 
कुसुम कली वह कब की सूखी,
 
फटा ट्वीड का नया कोट भी,
 
फटा ट्वीड का नया कोट भी,
किन्तु बसी है सुरभि ह्रदय मेँ,
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किन्तु बसी है सुरभि ह्रदय में,
 
जो उस कलिका से निकली !  
 
जो उस कलिका से निकली !  
  
 
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'''(फरवरी १९३७)'''
'''(फरवरी १९३७, 'प्रवासी के गीत' काव्य-संग्रह से)'''
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15:35, 6 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

तुम्हें याद है क्या उस दिन की
नए कोट के बटन होल में,
हँसकर प्रिये, लगा दी थी जब
वह गुलाब की लाल कली ?

फिर कुछ शरमा कर, साहस कर,
बोली थीं तुम- "इसको यों ही
खेल समझ कर फेंक न देना,
है यह प्रेम-भेंट पहली!"

कुसुम कली वह कब की सूखी,
फटा ट्वीड का नया कोट भी,
किन्तु बसी है सुरभि ह्रदय में,
जो उस कलिका से निकली !

(फरवरी १९३७)