"कालिज स्टूडैंट / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर
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फादर ने बनवा दिये तीन कोट¸ छै पैंट¸ | फादर ने बनवा दिये तीन कोट¸ छै पैंट¸ | ||
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लल्लू मेरा बन गया कालिज स्टूडैंट। | लल्लू मेरा बन गया कालिज स्टूडैंट। | ||
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कालिज स्टूडैंट¸ हुए होस्टल में भरती¸ | कालिज स्टूडैंट¸ हुए होस्टल में भरती¸ | ||
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दिन भर बिस्कुट चरें¸ शाम को खायें इमरती। | दिन भर बिस्कुट चरें¸ शाम को खायें इमरती। | ||
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कहें काका कविराय¸ बुद्धि पर डाली चादर¸ | कहें काका कविराय¸ बुद्धि पर डाली चादर¸ | ||
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मौज कर रहे पुत्र¸ हडि्डयां घिसते फादर। | मौज कर रहे पुत्र¸ हडि्डयां घिसते फादर। | ||
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पढ़ना–लिखना व्यर्थ हैं¸ दिन भर खेलो खेल¸ | पढ़ना–लिखना व्यर्थ हैं¸ दिन भर खेलो खेल¸ | ||
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होते रहु दो साल तक फस्र्ट इयर में फेल। | होते रहु दो साल तक फस्र्ट इयर में फेल। | ||
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फस्र्ट इयर में फेल¸ जेब में कंघा डाला¸ | फस्र्ट इयर में फेल¸ जेब में कंघा डाला¸ | ||
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साइकिल ले चल दिए¸ लगा कमरे का ताला। | साइकिल ले चल दिए¸ लगा कमरे का ताला। | ||
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कहें काका कविराय¸ गेटकीपर से लड़कर¸ | कहें काका कविराय¸ गेटकीपर से लड़कर¸ | ||
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मुफ़्त सिनेमा देख¸ कोच पर बैठ अकड़कर। | मुफ़्त सिनेमा देख¸ कोच पर बैठ अकड़कर। | ||
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प्रोफ़ेसर या प्रिंसिपल बोलें जब प्रतिकूल¸ | प्रोफ़ेसर या प्रिंसिपल बोलें जब प्रतिकूल¸ | ||
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लाठी लेकर तोड़ दो मेज़ और स्टूल। | लाठी लेकर तोड़ दो मेज़ और स्टूल। | ||
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मेज़ और स्टूल¸ चलाओ ऐसी हाकी¸ | मेज़ और स्टूल¸ चलाओ ऐसी हाकी¸ | ||
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शीशा और किवाड़ बचे नहिं एकउ बाकी। | शीशा और किवाड़ बचे नहिं एकउ बाकी। | ||
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कहें 'काका कवि' राय¸ भयंकर तुमको देता¸ | कहें 'काका कवि' राय¸ भयंकर तुमको देता¸ | ||
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बन सकते हो इसी तरह 'बिगड़े दिल नेता।' | बन सकते हो इसी तरह 'बिगड़े दिल नेता।' | ||
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00:12, 29 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
फादर ने बनवा दिये तीन कोट¸ छै पैंट¸
लल्लू मेरा बन गया कालिज स्टूडैंट।
कालिज स्टूडैंट¸ हुए होस्टल में भरती¸
दिन भर बिस्कुट चरें¸ शाम को खायें इमरती।
कहें काका कविराय¸ बुद्धि पर डाली चादर¸
मौज कर रहे पुत्र¸ हडि्डयां घिसते फादर।
पढ़ना–लिखना व्यर्थ हैं¸ दिन भर खेलो खेल¸
होते रहु दो साल तक फस्र्ट इयर में फेल।
फस्र्ट इयर में फेल¸ जेब में कंघा डाला¸
साइकिल ले चल दिए¸ लगा कमरे का ताला।
कहें काका कविराय¸ गेटकीपर से लड़कर¸
मुफ़्त सिनेमा देख¸ कोच पर बैठ अकड़कर।
प्रोफ़ेसर या प्रिंसिपल बोलें जब प्रतिकूल¸
लाठी लेकर तोड़ दो मेज़ और स्टूल।
मेज़ और स्टूल¸ चलाओ ऐसी हाकी¸
शीशा और किवाड़ बचे नहिं एकउ बाकी।
कहें 'काका कवि' राय¸ भयंकर तुमको देता¸
बन सकते हो इसी तरह 'बिगड़े दिल नेता।'