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"सुना है ख़ूब बँटती है दौलत, रमज़ान के महीने में / शमशाद इलाही अंसारी" के अवतरणों में अंतर

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मयक़दे से बहती है नियामत, रमज़ान के महीने में।
 
मयक़दे से बहती है नियामत, रमज़ान के महीने में।
  
जाम भर-भर के पिलाओ यारों कि तिश्नगी अब रहे,
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जाम भर-भर के पिलाओ यारों कि तिश्नगी अब रहे,
 
सुना है बरसती है रहमत हर सू, रमज़ान के महीने में।
 
सुना है बरसती है रहमत हर सू, रमज़ान के महीने में।
  

18:23, 31 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

सुना है खू़ब बँटती है दौलत, रमज़ान के महीने में,
मयक़दे से बहती है नियामत, रमज़ान के महीने में।

जाम भर-भर के पिलाओ यारों कि तिश्नगी अब न रहे,
सुना है बरसती है रहमत हर सू, रमज़ान के महीने में।

मयकशों जम के पियो,खूब पियो इस पूरे महीने में,
यकीं रखो, होती है हर मुराद पूरी, रमज़ान के महीने में।

होश में आया गर "शम्स" तो साक़ी तेरी रुसवाई है,
बस पी लेने दे, जी लेने दे मुझे, रमज़ान के महीने में।


रचनाकाल: 28.09.2007