भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भारत भूषण / परिचय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKRachnakaarParichay |रचनाकार=भारत भूषण }} भारत भूषण का जन्म मेरठ, उत्तरप्रदेश ...)
 
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
|रचनाकार=भारत भूषण
 
|रचनाकार=भारत भूषण
 
}}
 
}}
भारत भूषण का जन्म मेरठ, उत्तरप्रदेश में हुआ। इन्होंने हिन्दी में स्नातकोत्तर शिक्षा अर्जित की और प्राध्यापन को जीविकावृत्ति के रूप में अपनाया। ये भाव प्रवण और संवेदनशील गीतकार हैं। इनका गीत संग्रह 'सागर के सीप है। इसके अतिरिक्त तमाम कविताएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। 'राम की जल समाधि इनकी बहुचर्चित कविता है। भारत भूषण काव्यमंच पर पिछले तीन दशकों से लोकप्रिय रहे हैं।
+
भारत भूषण का जन्म मेरठ, उत्तरप्रदेश में हुआ। इन्होंने हिन्दी में स्नातकोत्तर शिक्षा अर्जित की और प्राध्यापन को जीविकावृत्ति के रूप में अपनाया। एक शिक्षक के तौर पर करियर की शुरुआत करने वाले भारत भूषण बाद में काव्य की दुनिया में आए और छा गए। उनकी सैकडों कविताओं व गीतों में सबसे चर्चित राम की जलसमाधि रही। उन्होंने तीन काव्य संग्रह लिखे। पहला सागर के सीप वर्ष 1958 में, दूसरा ये असंगति वर्ष 1993 में और तीसरा मेरे चुनिंदा गीत वर्ष 2008 में प्रकाशित हुआ। वर्ष 1946 से मंच से जुडने वाले भारत भूषण मृत्यु से कुछ महीनों पूर्व तक मंच से गीतों की रसधार बहाते रहे। उन्होंने महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर जैसे कवि-साहित्यकारों के साथ भी मंच साझा किया। दिल्ली में 27 फरवरी, 2011 को आयोजित कवि सम्मेलन में उन्होंने अंतिम बार भाग लिया था।

14:09, 18 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

भारत भूषण का जन्म मेरठ, उत्तरप्रदेश में हुआ। इन्होंने हिन्दी में स्नातकोत्तर शिक्षा अर्जित की और प्राध्यापन को जीविकावृत्ति के रूप में अपनाया। एक शिक्षक के तौर पर करियर की शुरुआत करने वाले भारत भूषण बाद में काव्य की दुनिया में आए और छा गए। उनकी सैकडों कविताओं व गीतों में सबसे चर्चित राम की जलसमाधि रही। उन्होंने तीन काव्य संग्रह लिखे। पहला सागर के सीप वर्ष 1958 में, दूसरा ये असंगति वर्ष 1993 में और तीसरा मेरे चुनिंदा गीत वर्ष 2008 में प्रकाशित हुआ। वर्ष 1946 से मंच से जुडने वाले भारत भूषण मृत्यु से कुछ महीनों पूर्व तक मंच से गीतों की रसधार बहाते रहे। उन्होंने महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर जैसे कवि-साहित्यकारों के साथ भी मंच साझा किया। दिल्ली में 27 फरवरी, 2011 को आयोजित कवि सम्मेलन में उन्होंने अंतिम बार भाग लिया था।