"हाइकू / सूर्यभानु गुप्त" के अवतरणों में अंतर
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सड़क-गली, | सड़क-गली, | ||
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सूरज तो हो गया, | सूरज तो हो गया, | ||
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ग़ुलाम अली. | ग़ुलाम अली. | ||
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मिली नज़र, | मिली नज़र, | ||
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खिली एक लड़की, | खिली एक लड़की, | ||
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गुलमोहर! | गुलमोहर! | ||
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रेत पे पाँव, | रेत पे पाँव, | ||
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याद आ रही है माँ, | याद आ रही है माँ, | ||
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पेड़ की छाँव! | पेड़ की छाँव! | ||
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बैसाखी छड़ी, | बैसाखी छड़ी, | ||
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सूर्य ने घुमाई यूँ, | सूर्य ने घुमाई यूँ, | ||
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छू हुई नदी। | छू हुई नदी। | ||
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पियरा गई | पियरा गई | ||
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फ़सलें, दुलहनें | फ़सलें, दुलहनें | ||
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घर आ गईं! | घर आ गईं! | ||
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टेसू के फूल | टेसू के फूल | ||
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खिले दुपहर में, | खिले दुपहर में, | ||
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संझा को धूल! | संझा को धूल! | ||
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हर घर में, | हर घर में, | ||
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फूलों के गुलदस्ते | फूलों के गुलदस्ते | ||
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कैलेण्डर में ! | कैलेण्डर में ! | ||
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मेघ जी हँसे | मेघ जी हँसे | ||
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ऐसे कि मछुओं के | ऐसे कि मछुओं के | ||
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जाल में फँसे! | जाल में फँसे! | ||
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बात-बात में, | बात-बात में, | ||
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दीवारें गिरती हैं, | दीवारें गिरती हैं, | ||
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बरसात में! | बरसात में! | ||
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बनजारों में | बनजारों में | ||
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तू-तू, मैं-मैं, बौछारें, | तू-तू, मैं-मैं, बौछारें, | ||
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अख़बारों में! | अख़बारों में! | ||
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अहा, झरना! | अहा, झरना! | ||
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पर्वतों का वनों से | पर्वतों का वनों से | ||
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बात करना!! | बात करना!! | ||
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टूटे बादल, | टूटे बादल, | ||
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बीच सड़क पर, | बीच सड़क पर, | ||
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नाचे पागल ! | नाचे पागल ! | ||
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गीले रूमाल, | गीले रूमाल, | ||
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उड़ते हैं आँखों में | उड़ते हैं आँखों में | ||
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नावों के पाल! | नावों के पाल! | ||
पंक्ति 114: | पंक्ति 88: | ||
धड़की छाती | धड़की छाती | ||
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बूढ़े बरगद की, | बूढ़े बरगद की, | ||
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बिजली नाची! | बिजली नाची! | ||
पंक्ति 122: | पंक्ति 94: | ||
पटुआँ बोला-- | पटुआँ बोला-- | ||
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मैना! देगी शादी में | मैना! देगी शादी में | ||
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कितने तोला? | कितने तोला? | ||
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हँसी लड़की! | हँसी लड़की! | ||
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सहसा दीवार में— | सहसा दीवार में— | ||
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एक खिड़की! | एक खिड़की! | ||
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थर्मामीटर | थर्मामीटर | ||
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रात, चांदनी जैसे | रात, चांदनी जैसे | ||
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पारा भीतर। | पारा भीतर। | ||
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तनहाई में, | तनहाई में, | ||
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देहों के टाँके टूटे | देहों के टाँके टूटे | ||
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पुरवाई में! | पुरवाई में! | ||
पंक्ति 154: | पंक्ति 118: | ||
नीम का पेड़ | नीम का पेड़ | ||
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देख रहा है, सूनी | देख रहा है, सूनी | ||
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खेतों की मेड़| | खेतों की मेड़| | ||
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चेहरे भाप! | चेहरे भाप! | ||
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इस युग में मिला | इस युग में मिला | ||
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पानी को शाप! | पानी को शाप! | ||
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महंगी सस्ती, | महंगी सस्ती, | ||
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मिलते ही मिट्टी में | मिलते ही मिट्टी में | ||
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उड़ती मिट्टी! | उड़ती मिट्टी! | ||
पंक्ति 179: | पंक्ति 137: | ||
टीं-टीं-टीं हिकू! | टीं-टीं-टीं हिकू! | ||
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चील एक चिल्लाई | चील एक चिल्लाई | ||
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हुआ हाइकू! | हुआ हाइकू! | ||
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12:20, 1 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
1.
सड़क-गली,
सूरज तो हो गया,
ग़ुलाम अली.
2.
मिली नज़र,
खिली एक लड़की,
गुलमोहर!
3.
रेत पे पाँव,
याद आ रही है माँ,
पेड़ की छाँव!
4.
बैसाखी छड़ी,
सूर्य ने घुमाई यूँ,
छू हुई नदी।
5.
पियरा गई
फ़सलें, दुलहनें
घर आ गईं!
6.
टेसू के फूल
खिले दुपहर में,
संझा को धूल!
7.
हर घर में,
फूलों के गुलदस्ते
कैलेण्डर में !
8.
मेघ जी हँसे
ऐसे कि मछुओं के
जाल में फँसे!
9.
बात-बात में,
दीवारें गिरती हैं,
बरसात में!
10.
बनजारों में
तू-तू, मैं-मैं, बौछारें,
अख़बारों में!
11.
अहा, झरना!
पर्वतों का वनों से
बात करना!!
12.
टूटे बादल,
बीच सड़क पर,
नाचे पागल !
13.
गीले रूमाल,
उड़ते हैं आँखों में
नावों के पाल!
14.
धड़की छाती
बूढ़े बरगद की,
बिजली नाची!
15.
पटुआँ बोला--
मैना! देगी शादी में
कितने तोला?
16.
हँसी लड़की!
सहसा दीवार में—
एक खिड़की!
17.
थर्मामीटर
रात, चांदनी जैसे
पारा भीतर।
18.
तनहाई में,
देहों के टाँके टूटे
पुरवाई में!
19.
नीम का पेड़
देख रहा है, सूनी
खेतों की मेड़|
20.
चेहरे भाप!
इस युग में मिला
पानी को शाप!
21.
महंगी सस्ती,
मिलते ही मिट्टी में
उड़ती मिट्टी!
22.
टीं-टीं-टीं हिकू!
चील एक चिल्लाई
हुआ हाइकू!