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"अंगूठे / अरविन्द श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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हम उगेंगे बिल्कुल अंडाकार | हम उगेंगे बिल्कुल अंडाकार |
23:57, 14 जून 2012 के समय का अवतरण
बताओ, कहाँ मारना है ठप्पा
कहाँ लगाने हैं निशान
तुम्हारे सफ़ेद—धवल काग़ज़ पर
हम उगेंगे बिल्कुल अंडाकार
या कोई अद्भुत कलाकृति बनकर
बगैर किसी कालिख़, स्याही
और पैड के
अंगूठे गंदे हैं
मिट्ती में सने हैं
आग में पके हैं
पसीने की स्याही में ।