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वह सबके साथ है | वह सबके साथ है | ||
दूर नहीं पास है | दूर नहीं पास है | ||
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गगन कब झुकता है | गगन कब झुकता है | ||
समय कब रुकता है | समय कब रुकता है | ||
− | समय से मत | + | समय से मत लड़ो । |
− | फिर चाहे जो | + | फिर चाहे जो करो । |
रात वाला सपना | रात वाला सपना | ||
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रोज़ यह होता है | रोज़ यह होता है | ||
व्यर्थ क्यों रोता है | व्यर्थ क्यों रोता है | ||
− | डर के मत | + | डर के मत मरो । |
− | फिर चाहे जो | + | फिर चाहे जो करो । |
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21:10, 21 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
मन को वश में करो
फिर चाहे जो करो ।
कर्ता तो और है
रहता हर ठौर है
वह सबके साथ है
दूर नहीं पास है
तुम उसका ध्यान धरो ।
फिर चाहे जो करो ।
सोच मत बीते को
हार मत जीते को
गगन कब झुकता है
समय कब रुकता है
समय से मत लड़ो ।
फिर चाहे जो करो ।
रात वाला सपना
सवेरे कब अपना
रोज़ यह होता है
व्यर्थ क्यों रोता है
डर के मत मरो ।
फिर चाहे जो करो ।