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"जाना है दूर / रमानाथ अवस्थी" के अवतरणों में अंतर
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रोको मत जाने दो जाना है दूर | रोको मत जाने दो जाना है दूर | ||
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लेकिन है कौन यहाँ जो कुछ खोता नहीं | लेकिन है कौन यहाँ जो कुछ खोता नहीं | ||
तुमसे मिलने का मन तो है मैं क्या करूँ? | तुमसे मिलने का मन तो है मैं क्या करूँ? | ||
− | बोलो तुम कैसे कब तक मैं धीरज | + | बोलो तुम कैसे कब तक मैं धीरज धरूँ । |
+ | मुझसे मत पूछो मैं कितना मज़बूर । | ||
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रोको मत जाने दो जाना है दूर | रोको मत जाने दो जाना है दूर | ||
अनगिन चिंताओं के साथ खड़ा हूँ यहाँ | अनगिन चिंताओं के साथ खड़ा हूँ यहाँ | ||
− | पूछता नहीं कोई जाऊँगा मैं कहाँ? | + | पूछता नहीं कोई जाऊँगा मैं कहाँ ? |
तन की क्या बात मन बेहद सैलानी है | तन की क्या बात मन बेहद सैलानी है | ||
− | कर नहीं पाता मन अपनी मनमानी | + | कर नहीं पाता मन अपनी मनमानी है । |
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दर्द भी सहे हैं हो कर के मशहूर | दर्द भी सहे हैं हो कर के मशहूर | ||
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रोको मत जाने दो जाना है दूर | रोको मत जाने दो जाना है दूर | ||
अब नहीं कुछ भी पाने को मन करता | अब नहीं कुछ भी पाने को मन करता | ||
− | कभी कभी जीवन भी मुझको अखरता | + | कभी-कभी जीवन भी मुझको अखरता |
− | + | साँस का ठिकाना क्या आए न आए | |
यह बात कौन किसे कैसे समझाए | यह बात कौन किसे कैसे समझाए | ||
+ | होना है जो भी वह होगा ज़रूर । | ||
− | + | रोको मत जाने दो जाना है दूर । | |
− | रोको मत जाने दो जाना है | + | |
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21:07, 21 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
रोको मत जाने दो जाना है दूर
वैसे तो जाने को मन ही होता नहीं,
लेकिन है कौन यहाँ जो कुछ खोता नहीं
तुमसे मिलने का मन तो है मैं क्या करूँ?
बोलो तुम कैसे कब तक मैं धीरज धरूँ ।
मुझसे मत पूछो मैं कितना मज़बूर ।
रोको मत जाने दो जाना है दूर
अनगिन चिंताओं के साथ खड़ा हूँ यहाँ
पूछता नहीं कोई जाऊँगा मैं कहाँ ?
तन की क्या बात मन बेहद सैलानी है
कर नहीं पाता मन अपनी मनमानी है ।
दर्द भी सहे हैं हो कर के मशहूर
रोको मत जाने दो जाना है दूर
अब नहीं कुछ भी पाने को मन करता
कभी-कभी जीवन भी मुझको अखरता
साँस का ठिकाना क्या आए न आए
यह बात कौन किसे कैसे समझाए
होना है जो भी वह होगा ज़रूर ।
रोको मत जाने दो जाना है दूर ।