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"जो मेरी सरगुज़िश्त सुनते हैं / आरज़ू लखनवी" के अवतरणों में अंतर
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जो मेरी सरगुज़िश्त सुनते हैं। | जो मेरी सरगुज़िश्त सुनते हैं। | ||
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झूठे वादों का भी यकीन आ जाये। | झूठे वादों का भी यकीन आ जाये। | ||
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00:19, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
जो मेरी सरगुज़िश्त सुनते हैं।
सर को दो-दो पहर यह धुनते हैं॥
कै़द में माजरा-ए-तनहाई।
आप कहते हैं, आप सुनते हैं॥
झूठे वादों का भी यकीन आ जाये।
कुछ वो इन तेवरों से कहते हैं॥