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"सच कहा तुमने / शांति सुमन" के अवतरणों में अंतर
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− | + | हंसी होगी शाप | |
− | + | पथरा जाएँगी आँखें | |
− | + | ओठ होंगे काठ | |
− | + | कटने लगेंगी शाखें | |
− | + | सच कभी होने न देगी | |
− | + | धूप के सपने । | |
− | + | बाँह में आकाश होगा | |
− | + | कटे होंगे पंख | |
− | + | मछलियाँ जलहीन | |
− | + | तट पर बिछे होंगे शंख | |
− | + | पास में बहने न देगी | |
− | + | नदी या झरने । | |
− | + | थके होंगे शब्द | |
− | + | ढोते अर्थ दुहरे | |
− | + | प्यास को दीखा करेंगे | |
− | + | जल सुनहरे | |
− | + | प्रिय कभी होने न देगी | |
− | + | ख़ुशी के गहने । | |
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17:21, 25 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
यह सदी रोने न देगी
सच कहा तुमने ।
हंसी होगी शाप
पथरा जाएँगी आँखें
ओठ होंगे काठ
कटने लगेंगी शाखें
सच कभी होने न देगी
धूप के सपने ।
बाँह में आकाश होगा
कटे होंगे पंख
मछलियाँ जलहीन
तट पर बिछे होंगे शंख
पास में बहने न देगी
नदी या झरने ।
थके होंगे शब्द
ढोते अर्थ दुहरे
प्यास को दीखा करेंगे
जल सुनहरे
प्रिय कभी होने न देगी
ख़ुशी के गहने ।