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"मुझे फूल मत मारो / मैथिलीशरण गुप्त" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=मैथिलीशरण गुप्त | |रचनाकार=मैथिलीशरण गुप्त | ||
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− | मुझे फूल मत मारो | + | :::मुझे फूल मत मारो, |
− | मैं अबला बाला वियोगिनी कुछ तो दया विचारो। | + | मैं अबला बाला वियोगिनी, कुछ तो दया विचारो। |
− | होकर मधु के मीत मदन पटु तुम कटु गरल न गारो | + | होकर मधु के मीत मदन, पटु, तुम कटु गरल न गारो, |
− | मुझे विकलता तुम्हें विफलता ठहरो श्रम परिहारो। | + | मुझे विकलता, तुम्हें विफलता, ठहरो, श्रम परिहारो। |
− | नही भोगनी यह मैं कोई जो तुम जाल पसारो | + | नही भोगनी यह मैं कोई, जो तुम जाल पसारो, |
− | बल हो तो सिन्दूर बिन्दु यह | + | बल हो तो सिन्दूर-बिन्दु यह--यह हरनेत्र निहारो! |
− | रूप दर्प कंदर्प तुम्हें तो मेरे पति पर वारो | + | रूप-दर्प कंदर्प, तुम्हें तो मेरे पति पर वारो, |
− | लो यह मेरी चरण धूलि उस रति के सिर पर | + | लो, यह मेरी चरण-धूलि उस रति के सिर पर धारो! |
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18:22, 10 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
मुझे फूल मत मारो,
मैं अबला बाला वियोगिनी, कुछ तो दया विचारो।
होकर मधु के मीत मदन, पटु, तुम कटु गरल न गारो,
मुझे विकलता, तुम्हें विफलता, ठहरो, श्रम परिहारो।
नही भोगनी यह मैं कोई, जो तुम जाल पसारो,
बल हो तो सिन्दूर-बिन्दु यह--यह हरनेत्र निहारो!
रूप-दर्प कंदर्प, तुम्हें तो मेरे पति पर वारो,
लो, यह मेरी चरण-धूलि उस रति के सिर पर धारो!