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"कुछ शे’र / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर
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यह है आरज़ू चमन की, कोई लूट ले चमन को | यह है आरज़ू चमन की, कोई लूट ले चमन को | ||
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ये तमाम रंगो-नक्हत तिरे इख़्तियार में है | ये तमाम रंगो-नक्हत तिरे इख़्तियार में है | ||
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तिरे हाथ की बलन्दी में फ़रोगे़-कहकशाँ है | तिरे हाथ की बलन्दी में फ़रोगे़-कहकशाँ है | ||
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23:54, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
यह है आरज़ू चमन की, कोई लूट ले चमन को
ये तमाम रंगो-नक्हत तिरे इख़्तियार में है
तिरे हाथ की बलन्दी में फ़रोगे़-कहकशाँ है
ये हुजूमे-माहो-अंजुम<ref> चाँद और तारों का जमघट</ref>तिरे इन्तिज़ार में है
शब्दार्थ
<references/>