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"कर्तव्‍य / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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देवि, गया है जोड़ा यह जो
 
देवि, गया है जोड़ा यह जो
 
 
मेरा और तुम्‍हारा नाता,
 
मेरा और तुम्‍हारा नाता,
 
 
नहीं तुम्‍हारा मेरा केवल,
 
नहीं तुम्‍हारा मेरा केवल,
 
 
जग-जीवन से मेल कराता।
 
जग-जीवन से मेल कराता।
 
  
 
दुनिया अपनी, जीवन अपना,
 
दुनिया अपनी, जीवन अपना,
 
 
सत्‍य, नहीं केवल मन-सपना;
 
सत्‍य, नहीं केवल मन-सपना;
 
 
मन-सपने-सा इसे बनाने
 
मन-सपने-सा इसे बनाने
 
 
का, आओ, हम तुम प्रण ठानें।
 
का, आओ, हम तुम प्रण ठानें।
 
  
 
जैसी हमने पाई दुनिया,
 
जैसी हमने पाई दुनिया,
 
 
आओ, उससे बेहतर छोड़ें,
 
आओ, उससे बेहतर छोड़ें,
 
 
शुचि-सुंदरतर इसे बनाने
 
शुचि-सुंदरतर इसे बनाने
 
 
से मुँह अपना कभी न मोड़ें।
 
से मुँह अपना कभी न मोड़ें।
 
  
 
क्‍यों कि नहीं बस इससे नाता
 
क्‍यों कि नहीं बस इससे नाता
 
 
जब तक जीवन-काल हमारा,
 
जब तक जीवन-काल हमारा,
 
 
खेल, कूद, पढ़, बढ़ इसमें ही
 
खेल, कूद, पढ़, बढ़ इसमें ही
 
 
रहने को है लाल हमारा।
 
रहने को है लाल हमारा।
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22:12, 25 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

देवि, गया है जोड़ा यह जो
मेरा और तुम्‍हारा नाता,
नहीं तुम्‍हारा मेरा केवल,
जग-जीवन से मेल कराता।

दुनिया अपनी, जीवन अपना,
सत्‍य, नहीं केवल मन-सपना;
मन-सपने-सा इसे बनाने
का, आओ, हम तुम प्रण ठानें।

जैसी हमने पाई दुनिया,
आओ, उससे बेहतर छोड़ें,
शुचि-सुंदरतर इसे बनाने
से मुँह अपना कभी न मोड़ें।

क्‍यों कि नहीं बस इससे नाता
जब तक जीवन-काल हमारा,
खेल, कूद, पढ़, बढ़ इसमें ही
रहने को है लाल हमारा।