भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रेम: एक परिभाषा / प्रभाकर माचवे" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो ("प्रेम: एक परिभाषा / प्रभाकर माचवे" सुरक्षित कर दिया [edit=sysop:move=sysop])
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
<poem>
 
<poem>
 
प्रेम क्या किसी मृदूष्ण स्पर्श का भिखारी?
 
प्रेम क्या किसी मृदूष्ण स्पर्श का भिखारी?
 
 
::प्रेम वो प्रपात
 
::प्रेम वो प्रपात
 
::गीत दिवारात
 
::गीत दिवारात
 
::गा रहा अशान्त
 
::गा रहा अशान्त
 
प्रेम आत्म-विस्मृत पर लक्ष्य-च्युत शिकारी ।
 
प्रेम आत्म-विस्मृत पर लक्ष्य-च्युत शिकारी ।
 
 
::प्रेम वह प्रसन्न
 
::प्रेम वह प्रसन्न
 
::खेत में निरन्न
 
::खेत में निरन्न

20:11, 4 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

प्रेम क्या किसी मृदूष्ण स्पर्श का भिखारी?
प्रेम वो प्रपात
गीत दिवारात
गा रहा अशान्त
प्रेम आत्म-विस्मृत पर लक्ष्य-च्युत शिकारी ।
प्रेम वह प्रसन्न
खेत में निरन्न
दुर्भिक्षावसन्न
सृजक कृषक खड़ा दीन अन्नाधिकारी ।