भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रामदास / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rajeevnhpc102 (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: चौड़ी सड़्क गली पतली थी<br /> दिन का समय घनी बदली थी<br /> रामदास उस दिन उ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | चौड़ी | + | {{KKGlobal}} |
− | दिन का समय घनी बदली थी | + | {{KKRachna |
− | रामदास उस दिन उदास था | + | |रचनाकार =रघुवीर सहाय |
− | अंत समय आ गया पास था | + | |संग्रह =हँसो हँसो जल्दी हँसो / रघुवीर सहाय |
− | उसे बता | + | }} |
− | + | {{KKPrasiddhRachna}} | |
− | धीरे धीरे चला अकेले | + | {{KKCatKavita}} |
− | सोचा साथ किसी को ले ले | + | <poem> |
− | फिर रह गया, | + | चौड़ी सड़क गली पतली थी |
− | सभी मौन थे | + | दिन का समय घनी बदली थी |
− | सभी जानते थे यह | + | रामदास उस दिन उदास था |
− | + | अंत समय आ गया पास था | |
− | खड़ा हुआ वह बीच सड़क पर | + | उसे बता यह दिया गया था उसकी हत्या होगी |
− | दोनों | + | |
− | सधे | + | धीरे धीरे चला अकेले |
− | लोग सिमट कर आँख | + | सोचा साथ किसी को ले ले |
− | लगे देखने उसको | + | फिर रह गया, सड़क पर सब थे |
− | + | सभी मौन थे सभी निहत्थे | |
− | निकल गली से तब हत्यारा | + | सभी जानते थे यह उस दिन उसकी हत्या होगी |
− | आया उसने नाम पुकारा | + | |
− | + | खड़ा हुआ वह बीच सड़क पर | |
− | छूटा लोहू का फव्वारा | + | दोनों हाथ पेट पर रख कर |
− | कहा नहीं था | + | सधे क़दम रख कर के आए |
− | + | लोग सिमट कर आँख गड़ाए | |
− | भीड़ ठेल कर लौट | + | लगे देखने उसको जिसकी तय था हत्या होगी |
− | मरा | + | |
− | + | निकल गली से तब हत्यारा | |
− | लोग | + | आया उसने नाम पुकारा |
− | लगे | + | हाथ तौल कर चाकू मारा |
+ | छूटा लोहू का फव्वारा | ||
+ | कहा नहीं था उसने आख़िर उसकी हत्या होगी | ||
+ | |||
+ | भीड़ ठेल कर लौट गया वह | ||
+ | मरा पड़ा है रामदास यह | ||
+ | देखो-देखो बार बार कह | ||
+ | लोग निडर उस जगह खड़े रह | ||
+ | लगे बुलाने उन्हें जिन्हें संशय था हत्या होगी | ||
+ | </poem> |
23:12, 6 जून 2012 के समय का अवतरण
चौड़ी सड़क गली पतली थी
दिन का समय घनी बदली थी
रामदास उस दिन उदास था
अंत समय आ गया पास था
उसे बता यह दिया गया था उसकी हत्या होगी
धीरे धीरे चला अकेले
सोचा साथ किसी को ले ले
फिर रह गया, सड़क पर सब थे
सभी मौन थे सभी निहत्थे
सभी जानते थे यह उस दिन उसकी हत्या होगी
खड़ा हुआ वह बीच सड़क पर
दोनों हाथ पेट पर रख कर
सधे क़दम रख कर के आए
लोग सिमट कर आँख गड़ाए
लगे देखने उसको जिसकी तय था हत्या होगी
निकल गली से तब हत्यारा
आया उसने नाम पुकारा
हाथ तौल कर चाकू मारा
छूटा लोहू का फव्वारा
कहा नहीं था उसने आख़िर उसकी हत्या होगी
भीड़ ठेल कर लौट गया वह
मरा पड़ा है रामदास यह
देखो-देखो बार बार कह
लोग निडर उस जगह खड़े रह
लगे बुलाने उन्हें जिन्हें संशय था हत्या होगी