भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आरती श्रीकृष्ण कन्हैयाकी / आरती" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार= | |रचनाकार= | ||
}} | }} | ||
+ | [[चित्र:Krishna.jpg]] | ||
+ | |||
<poem> | <poem> | ||
आरती श्रीकृष्ण कन्हैयाकी।<BR>मथुरा कारागृह अवतारी,<BR>गोकुल जसुदा गोद विहारी,<BR>नंदलाल नटवर गिरधारी,<BR>वासुदेव हलधर भैया की॥ आरती ..<BR>मोर मुकुट पीताम्बर छाजै,<BR>कटि काछनि, कर मुरलि विराजै,<BR>पूर्ण सरक ससि मुख लखि जाजै,<BR>काम कोटि छवि जितवैया की॥ आरती ..<BR>गोपीजन रस रास विलासी,<BR>कौरव कालिय, कंस बिनासी,<BR>हिमकर भानु, कृसानु प्रकासी,<BR>सर्वभूत हिय बसवैयाकी॥ आरती ..<BR>कहुं रन चढ़ै, भागि कहुं जाव,<BR>कहुं नृप कर, कहुं गाय चरावै,<BR>कहुं जागेस, बेद जस गावै,<BR>जग नचाय ब्रज नचवैया की॥ आरती ..<BR>अगुन सगुन लीला बपु धारी,<BR>अनुपम गीता ज्ञान प्रचारी,<BR>दामोदर सब विधि बलिहारी,<BR>विप्र धेनु सुर रखवैया की॥ आरती .. | आरती श्रीकृष्ण कन्हैयाकी।<BR>मथुरा कारागृह अवतारी,<BR>गोकुल जसुदा गोद विहारी,<BR>नंदलाल नटवर गिरधारी,<BR>वासुदेव हलधर भैया की॥ आरती ..<BR>मोर मुकुट पीताम्बर छाजै,<BR>कटि काछनि, कर मुरलि विराजै,<BR>पूर्ण सरक ससि मुख लखि जाजै,<BR>काम कोटि छवि जितवैया की॥ आरती ..<BR>गोपीजन रस रास विलासी,<BR>कौरव कालिय, कंस बिनासी,<BR>हिमकर भानु, कृसानु प्रकासी,<BR>सर्वभूत हिय बसवैयाकी॥ आरती ..<BR>कहुं रन चढ़ै, भागि कहुं जाव,<BR>कहुं नृप कर, कहुं गाय चरावै,<BR>कहुं जागेस, बेद जस गावै,<BR>जग नचाय ब्रज नचवैया की॥ आरती ..<BR>अगुन सगुन लीला बपु धारी,<BR>अनुपम गीता ज्ञान प्रचारी,<BR>दामोदर सब विधि बलिहारी,<BR>विप्र धेनु सुर रखवैया की॥ आरती .. |
21:51, 13 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
आरती श्रीकृष्ण कन्हैयाकी।
मथुरा कारागृह अवतारी,
गोकुल जसुदा गोद विहारी,
नंदलाल नटवर गिरधारी,
वासुदेव हलधर भैया की॥ आरती ..
मोर मुकुट पीताम्बर छाजै,
कटि काछनि, कर मुरलि विराजै,
पूर्ण सरक ससि मुख लखि जाजै,
काम कोटि छवि जितवैया की॥ आरती ..
गोपीजन रस रास विलासी,
कौरव कालिय, कंस बिनासी,
हिमकर भानु, कृसानु प्रकासी,
सर्वभूत हिय बसवैयाकी॥ आरती ..
कहुं रन चढ़ै, भागि कहुं जाव,
कहुं नृप कर, कहुं गाय चरावै,
कहुं जागेस, बेद जस गावै,
जग नचाय ब्रज नचवैया की॥ आरती ..
अगुन सगुन लीला बपु धारी,
अनुपम गीता ज्ञान प्रचारी,
दामोदर सब विधि बलिहारी,
विप्र धेनु सुर रखवैया की॥ आरती ..