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"एक बात / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर
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इस पे भूले हो कि हर दिल को कुचल डाला है | इस पे भूले हो कि हर दिल को कुचल डाला है | ||
इस पे फूले हो कि हर गुल को मसल डाला है | इस पे फूले हो कि हर गुल को मसल डाला है | ||
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आज वह कुछ न सही कल को जवाँ तो होगी | आज वह कुछ न सही कल को जवाँ तो होगी | ||
− | वह जवाँ होके अगर शोलः-ए-जव्वाला बनी | + | वह जवाँ होके अगर शोलः-ए-जव्वाला<ref>नाचता हुआ शोला</ref> बनी |
− | वह जवाँ होके अगर आतिशे-सद-साला<ref>सौ | + | वह जवाँ होके अगर आतिशे-सद-साला<ref>सौ साल तक जलने वाली आग</ref> बनी |
− | ख़ुद ही सोचो कि सितमगारों पे क्या गुज़रेगी | + | ख़ुद ही सोचो कि सितमगारों<ref>अत्याचारी</ref> पे क्या गुज़रेगी |
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15:48, 16 जुलाई 2019 के समय का अवतरण
इस पे भूले हो कि हर दिल को कुचल डाला है
इस पे फूले हो कि हर गुल को मसल डाला है
और हर गोशःए-गुलज़ार<ref>उपवन का कोना </ref> में सन्नाटा है
किसी सीने में मगर एक फ़ुग़ाँ<ref>आर्तनाद</ref> तो होगी
आज वह कुछ न सही कल को जवाँ तो होगी
वह जवाँ होके अगर शोलः-ए-जव्वाला<ref>नाचता हुआ शोला</ref> बनी
वह जवाँ होके अगर आतिशे-सद-साला<ref>सौ साल तक जलने वाली आग</ref> बनी
ख़ुद ही सोचो कि सितमगारों<ref>अत्याचारी</ref> पे क्या गुज़रेगी
शब्दार्थ
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